Loading election data...

Rajasthan Political Crisis : सुप्रीम कोर्ट में सचिन पायलट की बड़ी जीत, जानें 10 बड़ी बातें

Rajasthan Political Crisis, Big win, Sachin Pilot in Supreme Court राजस्थान में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के बागी और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर अपना आदेश सुनाने की राज्य के उच्च न्यायालय को अनुमति दे दी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 23, 2020 6:16 PM
an image

नयी दिल्ली : राजस्थान में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के बागी और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान के बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर अपना आदेश सुनाने की राज्य के उच्च न्यायालय को अनुमति दे दी है. लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसकी व्यवस्था विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आने वाले निर्णय के दायरे में होगी. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे और कहा कि इन पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट में सचिन गुट को बड़ी राहत मिली है. जानें राजस्थान मुद्दे पर सुनवाई की 10 बड़ी बातें.

1. सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी को करारा झटका लगा. अपनी उन दलीलों पर शीर्ष अदालत से किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत पाने में विफल रहे जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत उनके द्वारा की जा रही अयोग्यता की कार्यवाही से उच्च न्यायालय उन्हें रोक नहीं सकता.

2. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष की याचिका पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान इस पर यह टिप्पणी की और कहा, ये इतना आसान मसला नहीं है और ये विधायक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. पीठ ने अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध करते हुये स्पष्ट शब्दों में कहा, लोकतंत्र में असहमति के स्वर दबाये नहीं जा सकते.

3. विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने की वजहें पूछते हुये पीठ ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि क्या इस प्रक्रिया (अयोग्यता) की अनुमति है या नहीं. जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने की वजहें गिनाते हुये कहा कि ये विधायक पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं हुये और उन्होंने अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की साजिश की. पीठ ने कहा, यह इतना आसान मामला नहीं है और ये विधायक भी निर्वाचित प्रतिनिधि हैं.

4. पीठ के एक अन्य सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा, ये विधायक हरियाणा चले गये, वहां वे एक होटल में ठहरे और टीवी चैनलों को बाइट दी कि वे सदन में शक्ति परीक्षण चाहते हैं. उन्होंने कहा कि न्यायालय इस समय इसका संज्ञान नहीं ले सकता कि क्या अयोग्यता की प्रक्रिया की अनुमति है या नहीं. उन्होंने कहा, हमारी शिकायत पूरी तरह संवैधानिक है और अध्यक्ष का फैसला होने तक कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक अध्यक्ष से कहा जा सकता है कि वह एक समयसीमा के अंदर इसका फैसला करे, लेकिन इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता और विधायकों की अयोग्यता या निलंबन के बारे में अध्यक्ष का निर्णय होने से पहले उसके समक्ष लंबित कार्यवाही को चुनौती नहीं दी सकती.

5. पीठ ने सिब्बल से जानना चाहा कि क्या बैठकों में शामिल नहीं होने के कारण विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी किया जा सकता है और क्या इसे पार्टी के खिलाफ माना जा सकता है. पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब सिब्बल ने कहा कि पार्टी के सभी विधायकों को बैठकों में शामिल होने के लिये पार्टी के मुख्य सचेतक ने नोटिस जारी किया था.

6. इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही जोशी की ओर से पीठ के समक्ष दलील दी गयी कि बर्खास्त उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही करने से 24 जुलाई तक उन्हें रोकने का उच्च न्यायालय को कोई अधिकार नहीं है.

7. सिब्बल ने इस संबंध में 1992 के बहुचर्चित किहोतो होलोहान प्रकरण में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा की गयी अयोग्यता की कार्यवाही में अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि न्यायालय सिर्फ उसी स्थिति में हस्तक्षेप कर सकता है जब अध्यक्ष ने सदन के किसी सदस्य को अयोग्य या निलंबित करने का फैसला ले लिया हो.

8. सिब्बल ने यह जवाब उस समय दिया जब पीठ ने जानना चाहा कि अगर अध्यक्ष किसी सदस्य को निलंबित या अयोग्य घोषित करता है तो क्या न्यायालय इसमें हस्तक्षेप कर सकता है.

9. विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि 19 विधायकों की याचिका पर 24 जुलाई को फैसला सुनाया जायेगा और उसने अध्यक्ष से कहा कि तब तक के लिये अयोग्यता की कार्यवाही टाल दी जाये.

10. सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष की याचिका पर सुनवाई 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध करते हुये कहा, हम उच्च न्यायालय को आदेश पारित करने से नहीं रोक रहे हैं लेकिन यह शीर्ष अदालत में लंबित याचिका (अध्यक्ष की) के निर्णय के दायरे में होगा.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

Exit mobile version