जयपुर : राजस्थान का पॉलिटिकल (Rajasthan Political Crisis) संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) जहां भाजपा पर लगातार निशाना साध रहे हैं, वहीं, भाजपा ने भी उनपर पलटवार किया है. गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों के सूर्यगढ़ में शिफ्ट होने को जहां सही बताया है, वहीं भाजपा ने इसपर तंज किया है. इस बीच कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये हैं. पूरा मामला विस्तार ये यहां जानते हैं…
राजस्थान कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों की अयोग्यता की कार्यवाही में हाईकोर्ट के 24 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. उच्च न्यायालय ने इन विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्थगित रखने का विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दिया था.
राजस्थान कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने अपील में कहा है कि ये बागी विधायक राज्य में अशोक गहलोत सरकार को गिराने के नापाक प्रयासों में गंभीरतम दलबदल में संलिप्त थे. राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी द्वारा शीर्ष अदालत में अपील दायर करने के दो दिन बाद मुख्य सचेतक महेश जोशी ने अपनी याचिका में अयोग्यता की कार्यवाही के मामले में उच्च न्यायालय के न्यायिक हस्तक्षेप की तीखी आलोचना की और कहा कि यह 10वीं अनुसूची में प्रदत्त अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है.
अधिवक्ता वरूण चोपड़ा के माध्यम से दायर इस याचिका में महेश जोशी ने कहा है कि कि ‘किहोतो होलोहान प्रकरण’ में 1992 में शीर्ष अदालत के फैसले के आलोक में उच्च न्यायालय का आदेश पहली नजर में ही असंवैधानिक और गैरकानूनी है. वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने इस अपील को अंतिम रूप दिया है. अपील में कहा गया है, ‘उच्च न्यायालय का (बागी विधायकों की अयोग्यता की कार्यवाही में) यथास्थिति बनाये रखने संबंधी निर्देश का असर संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधान को प्रभावहीन करने वाला है.’
मुख्य सचेतक ने अपनी अपील में कहा है, ‘प्रतिवादियों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को तोड़ने तथा विधिवत चुनी हुई कांग्रेस की राजस्थान सरकार को गिराने का गंभीर नापाक प्रयास किया था.’ अपील में कहा गया है, ‘प्रतिवादी (पायलट और अन्य विधायक) नोटिस दिये जाने के बावजूद जानबूझकर कांग्रेस विधायक दल की 13 और 14 जुलाई की बैठकों से अनुपस्थित रहे और मीडिया में प्रतिवादियों द्वारा शक्तिपरीक्षण की मांग सुर्खियों में रहीं. प्रतिवादियों ने यहां तक आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की जनता के साथ छल किया है.’
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय पर सवाल उठाने के लिए भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि इससे भाजपा का दोहरा चेहरा सामने आ गया है. गहलोत ने सवाल किया है कि ‘चाल-चरित्र-चेहरा कहां गया?’
गहलोत ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘भाजपा ने तेलुगु देशम पार्टी के चार सांसदों को राज्यसभा के अंदर रातों रात विलय करवा दिया. वह विलय तो सही है और राजस्थान में बसपा के छह विधायकों का कांग्रेस में विलय गलत है. तो फिर भाजपा का चाल-चरित्र-चेहरा कहां गया, मैं पूछना चाहता हूं? राज्यसभा में विलय हो वो सही है और यहां हो तो वह गलत है?’
मुख्यमंत्री ने एक और ट्वीट में कहा, ‘गोवा में भाजपा ने कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक दो तिहाई के आधार पर ले लिए. तेदेपा के चार सांसदों का राज्यसभा के अंदर भाजपा में विलय हो गया. राजस्थान में बसपा के छह के छह विधायक, पूरी पार्टी कांग्रेस में वियल कर गयी है. जब भाजपा का विलय सही तो यहां विलय गलत कैसे? इसे क्या कहोगे?’
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कांग्रेस के अशोक गहलोत खेमे के विधायकों को जैसलमेर ले जाये जाने पर कटाक्ष करते हुए शुक्रवार को कहा कि जब पार्टी के सभी विधायक एकजुट हैं तो बाड़ेबंदी क्यो? पूनियां ने ट्वीट किया, ‘सब एक हैं, कोई खतरा नहीं है, लोकतंत्र है, सब ठीक है तो बाड़ाबंदी क्यों? और बिकाऊ कौन है? उनके नाम सार्वजनिक करो, बाड़े में भी अविश्वास! जयपुर से जैसलमेर के बाद आगे तो पाकिस्तान है.’
यहां बता दें कि जयपुर के बाहर एक होटल में रुके मुख्यमंत्री गहलोत के खेमे के कांग्रेस विधायकों और उनकी सरकार का समर्थन कर रहे विधायकों को शुक्रवार को चार्टर्ड विमानों से जैसलमेर ले जाया गया है. वहां सूर्यगढ़ में विधायकों को रखा गया है. इसपर सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हमारे विधायकों को जो कई दिनों से यहां (जयपुर) ठहरे हुए थे, उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था. बाहरी दबाव को दूर रखने के लिए हमने उन्हें दूसरे जगह पर स्थानांतरित किया है.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha.