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गांधी परिवार के लिए राजस्थान की उठापटक बनी मुसीबत ! अध्यक्ष पद की रेस से हटेंगे गहलोत ?

Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट के विधायकों ने राज्य में सीधे-सीधे बगावत कर दिया है. राजस्थान की उठापटक को गांधी परिवार के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं माना जा रहा है.

Rajasthan Political Crisis: भारत जोड़ो यात्रा के बीच राजस्थान कांग्रेस में मचे सियासी घमासान से पार्टी को बड़ा झटका लगा है. बता दें कि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट के विधायकों ने राज्य में सीधे-सीधे बगावत कर दिया है. सियासी गलियारों में राजस्थान की उठापटक को गांधी परिवार के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं माना जा रहा है.

दिल्ली पहुंच रहे वरिष्ठ कांग्रेसी

इन सबके बीच, राजस्थान संकट सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ को तुरंत दिल्ली पहुंचने के लिए कहा है. सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस संकट में उनके मध्यस्थता करने की संभावना है. सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, कमलनाथ दिल्ली पहुंच चुके हैं. वहीं, AICC पर्यवेक्षक अजय माकन ने दिल्ली में कहा कि कल मल्लिकार्जुन खड़गे और मैं राजस्थान गए थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी. अब हम कांग्रेस अध्यक्षा को अपनी रिपोर्ट देने के लिए जा रहे हैं. वहीं, एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर पहुंचे है.

राजस्थान की जनता देगी जवाब: सतीश पूनिया

इधर, राजस्थान में बीजेपी के चीफ सतीश पूनिया ने एक ट्वीट में कहा कि कांग्रेस के सियासी पाखंड से प्रदेश का विकास ठप हुआ है. उन्होंने साथ ही कहा कि इस ठगी का जवाब 2023 में राजस्थान की जनता देगी. बता दें कि अशोक गहलोत के वफादार कई विधायकों द्वारा विधायक दल की बैठक से पहले अपने इस्‍तीफे रव‍िवार रात विधानसभा अध्‍यक्ष डॉ. सीपी जोशी को सौंपे जाने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य में गतिरोध को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर होंगे गहलोत?

वहीं, राजस्थान कांग्रेस में जारी सियासी उठापटक के बीच अब राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर नया मोड़ आ गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के पैनल ने सोनिया गांधी से अपील की है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फिलहाल अध्यक्ष पद के चुनाव की रेस से हटा दें. जब राजस्थान का संकट दूर हो जाए, तब गहलोत इस चुनाव का नामांकन दाखिल करें.

मार्गरेट अल्वा ने दी नसीहत

इधर, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा ने राजस्थान कांग्रेस में उपजे सियासी बवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. मार्गरेट अल्वा ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की और कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अपनी निजी अपेक्षाओं के बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए. मार्गरेट अल्वा ने कहा कि पार्टी में अपेक्षारहित बलिदान की जरूरत है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि राजस्थान का घटनाक्रम निंदनीय, दुर्भाग्यपूर्ण और गैरजरूरी है. राज्य के वरिष्ठ नेताओं को अपनी निजी मह्तवकांक्षाओं की बलिदान के लिए तैयार रहना चाहिए और राहुल गांधी के संकेत को समझना चाहिए जिसमें उन्होंने यह दखाया कि कांग्रेस को अभी सेल्फलेस सर्विस की जरूरत है.

सीएम केजरीवाल ने कांग्रेस पर कसा तंज

आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान घटनाक्रम पर कहा कि कांग्रेस अपना घर नहीं संभाल पा रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल जोड़-तोड़ की राजनीति करते हैं. वो उल्टा ये कहते रहते हैं कि केजरीवाल मुफ्त देना बंद करो. आज देशभर को आम आदमी पार्टी से उम्मीद है. हमें राजनीति आती नहीं हैं, जनता के लिए काम करते हैं, स्कूल-अस्पताल बनाते हैं. वही चीजें करते हैं जो जनता को चाहिए, जनता को तोड़फोड़ की राजनीति पसंद नहीं आती है.

जानिए पूरा मामला

उल्लेखनीय है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट आमने-सामने हैं. गहलोत खेमे के विधायकों ने सीएम पद के लिए सचिन पायलट के नाम पर एतराज जताया और विधानसभा अध्यक्ष को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया. इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या 80 से ज्यादा बताई जा रही है. सूत्रों की मानें तो गहलोत के वफादार व‍िधायकों की ओर से तीन शर्तें रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि गहलोत समर्थक विधायक चाहते हैं कि राज्‍य में नए मुख्‍यमंत्री के बारे में फैसला तब तक न किया जाए, जब तक कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव नहीं हो जाते. सूत्रों के अनुसार, गहलोत समर्थक विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि नए मुख्‍यमंत्री के चयन में गहलोत की राय को तवज्जो दी जाए और यह उन विधायकों में से एक होना चाहिए, जो 2020 में पायलट समर्थकों द्वारा विद्रोह के दौरान सरकार बचाने के लिए खड़े रहे.

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