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Rajbhasha Sammelan:हिंदी सभी को जोड़ने का करती है काम

हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है और एक-दूसरे की पूरक. हमारी भाषाएं विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में हैं. हिंदी ही है, जो हम सभी को और सभी भाषाओं को जोड़ने का काम करती है. राजगोपालाचारी, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाला लाजपत राय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस या फिर आचार्य कृपलानी, हिंदी को बढ़ावा देनेवालों में ये सभी गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों से आते थे.

Rajbhasha Sammelan:भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को  हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था. इसका 75वां साल पूरा हो रहा है और इस वर्ष राजभाषा हीरक जयंती मनाने जा रहा है. यह 75 साल की यात्रा हिन्दी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है. हिंदी ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, परंतु आज निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि हिन्दी की किसी भी स्थानीय भाषा के साथ कोई स्पर्धा नहीं है. हिंदी एक प्रकार से सभी भारतीय भाषाओं की सखी है और एक-दूसरे की पूरक है. हर भाषा हिन्दी को मजबूती देती है और हिन्दी हर भाषा को मजबूती देती है. इसीलिए हिन्दी के आंदोलन को ध्यान से देखें, तो चाहे राजगोपालाचारी, महात्मा गांधी , सरदार वल्लभभाई पटेल, लाला लाजपत राय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस  या फिर आचार्य कृपलानी हों, हिंदी को बढ़ावा देनेवालों में ये सभी गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों से आते थे. हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए संविधान सभा में जो समिति बनाई गई, वह समिति भी आयंगर और के. एम. मुंशी के नेतृत्व में बनायी गयी थी, जिसने हिन्दी को राजभाषा के रूप में मान्यता देने और हिन्दी और बाकी सारी भाषाओं को ताकत देने की एक रिपोर्ट संविधान सभा के सामने रखी थी. दोनों नेता गैर-हिंदी भाषी क्षेत्र से आते थे.

हिंदी और स्थानीय भाषा मजबूती की ओर अग्रसर

चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के असवर पर केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिंदी की जरूरत, अन्य भाषाओं के साथ संबंध और हिंदी के लिये किये जा रहे कार्यों को विस्तार से बताया. उन्होंने राजभाषा विभाग की ओर से किये जा रहे तकनीकी शब्दों का अनुवाद कर सरल और लचीला बनाये जाने की चर्चा की. साथ ही कई भाषाओं के शब्दों को मिलाकर एक नया शब्दकोश बनाये जाने की बात कहते हुए कहा कि यह शब्द कोष विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोश होगा.  गृह मंत्री ने कहा कि 10 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए ढेर सारे काम हुए हैं.

मोदी जी ने अनेक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गौरव पूर्वक हिंदी में संबोधन देकर हिंदी के महत्व को न केवल देश, बल्कि समूचे विश्व के सामने रखने का काम किया है और हमारे देश में हमारी भाषाओं के प्रति गौरव के भाव को बढ़ाया है. इन 10 सालों में हमने कई सारी स्थानीय भाषाओं को मजबूती देने के लिए बहुत सारे प्रयास किये हैं. नयी शिक्षा नीति में मोदी जी ने प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दिए जाने को एक महत्वपूर्ण स्थान देकर हमारी सभी भाषाओं और हिंदी को एक नया जीवन देने का काम किया है. नयी शिक्षा नीति के तहत कई राज्यों में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी अब हिंदी में शुरू हो चुकी है.

विश्व की सबसे समृद्ध भाषा


अमित शाह ने कहा कि आज वह फिर से  सभी को कहना चाहते हैं कि हमारी भाषाएं विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में हैं. हिंदी ही है, जो हम सभी को जोड़ने का काम करती है, हमारी सभी भाषाओं को जोड़ने का काम करती है. संविधान सभा की एक स्पिरिट थी कि एक स्वदेशी भाषा में देश के सभी नागरिक एक-दूसरे के साथ संवाद करें, चाहे वह हिन्दी हो, तमिल हो, तेलुगू हो या गुजराती हो. हिंदी को मजबूत करने से इन सभी भाषाओं में एक प्रकार से लचीलापन भी आएगा, समृद्धि भी आएगी और समाहितता के संस्कार के साथ सभी भाषाएं हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण और हमारे बच्चों के संस्कार को भी आगे बढ़ाएंगी.

उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा को जीवंत और सदियों तक बनाये रखने का काम यदि कोई सबसे ज्यादा कर सकते हैं, तो वह है अभिभावक. यदि सभी अभिभावक अपने बच्चों से अपनी मातृभाषा में बात करेंगे, तो निश्चित रूप से हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाएं समृद्ध होगी. हिंदी को किसी से स्पर्धा नहीं है. हिंदी गंगा है, जो सभी को अपने में समाहित कर पवित्र करती है. स्थानीय भाषाओं से हिंदी भी उतनी ही समृद्ध होती है, जितनी हिंदी से स्थानीय भाषा. इस अवसर पर डाक विभाग की ओर से डाक टिकट और वित्त मंत्रालय की ओर से सिक्का भी जारी किया गया.

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