Rajnath Singh: देश के सैनिकों को पारदर्शी तरीके से पेंशन मुहैया कराने के लिए रक्षा मंत्रालय ने स्पर्श(सिस्टम फॉर पेंशन एडमिनिस्ट्रेटिव) पोर्टल शुरू किया गया है. मौजूदा समय में कुल 32 लाख रक्षा क्षेत्र के पेंशन वालों में से 30 लाख स्पर्श पोर्टल से जुड़ चुके हैं. इस पोर्टल में कई तरह से चेक करने की सुविधा उपलब्ध है ताकि किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं हो सके. मंगलवार को डिफेंस अकाउंट्स डिपार्टमेंट के 277 वें वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि कई तरह की चुनौतियों के बावजूद अकाउंट विभाग ने वेब आधारित सिस्टम को सफलतापूर्वक लागू किया है. इस सिस्टम के तहत सैनिकों के पेंशन दावे और पेंशन का भुगतान सीधे उनके खाते में हो रहा है और इसमें किसी बाहरी संस्था की भागीदारी नहीं है. इस दौरान रक्षा मंत्री ने स्पर्श ऑडिट मैन्युअल, रक्षा खर्च से जुड़े सांख्यिकी हैंडबुक, मार्केट इंटेलिजेंस रिपोर्ट 2023-24 और डिफेंस ट्रेवल सिस्टम 2.0 लांच किया. उन्होंने कहा कि अकाउंट विभाग ने देश के रक्षा इकोसिस्टम को आधुनिक और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. संसाधनों का बेहतर प्रयोग, पारदर्शिता और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है.
रक्षा क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने की कोशिश
पिछले कुछ सालों में रक्षा क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि पहले रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था और इससे अर्थव्यवस्था में रक्षा क्षेत्र की भागीदारी काफी सीमित थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास के कारण देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है और आज भारत दूसरे देशों को हथियार की आपूर्ति कर रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस अकाउंट को वित्त और आर्थिक क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित करने के लिए रोडमैप बनाया जाना चाहिए. सरकार की कोशिश एक ऐसी व्यवस्था बनाने की है ताकि रक्षा क्षेत्र में होने वाले खर्च का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का सही आकलन किया जा सके. ताकि इससे रक्षा क्षेत्र में छोटी कंपनियों को आगे बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिल सके. रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के तहत सैन्य बल के अलावा, भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सड़क संगठन सहित कई संस्थान आते हैं और लगभग 50 लाख कर्मचारी सेना से जुड़े हुए है. सेना का बजट कई देशों के जीडीपी से अधिक है. ऐसे में अकाउंट विभाग की जिम्मेदारी किसी अन्य विभाग से अधिक है. क्योंकि बेहतर वित्तीय प्रबंधन के बिना कोई संस्था आगे नहीं बढ़ सकती है.