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Rajnath Singh: राजनाथ सिंह ने ली शपथ, लखनऊ से लगाई है जीत की हैट्रिक

Rajnath Singh: राजनाथ सिंह दो बार पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इससे पहले यह उप‍लब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्‍ण आडवाणी के पास ही थी.

Rajnath Singh: लखनऊ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की. 18वीं लोकसभा के चुनाव में उन्होंने लखनऊ सीट से 1,35,159 वोटों से समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को हराकर जीत दर्ज की है. इस चुनाव में राजनाथ सिंह को 6,12,709 और रविदास मेहरोत्रा को 4,77,550 को वोट मिले. राजनाथ सिंह ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई है. वे 2014 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं.

2014 में रीता बहुगुणा जोशी और 2019 में पूनम सिन्हा को हराया

2014 में राजनाथ सिंह ने लखनऊ से कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी को हराया था. वहीं, 2019 में समाजवादी पार्टी से शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा और कांग्रेस से आचार्य प्रमोद कृष्णम राजनाथ सिंह के सामने थे. लेकिन, पूनम सिन्हा को 3.47 लाख वोट से हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने लखनऊ सीट से 1,35,159 वोटों से समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा को हराकर जीत दर्ज की.

राजनाथ सिंह का परिचय

राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता है. इससे पहले, वे भारत के रक्षा और गृह मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है. वह पहले भाजपा के युवा स्कंध और भाजपा की उत्तर प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष भी थे. प्रारंभ में वे भौतिकी के व्याख्याता थे. उनकी कर्म भूमि मिर्जापुर रही. उन्होंने अपने राजनीति सफर की शुरुआत जनता पार्टी से की. इससे पहले वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे. राजनाथ सिंह 17वीं लोकसभा में भाजपा के उपनेता भी थे.

आरंभिक जीवन

राजनाथ सिंह का जन्म 10 जुलाई 1951 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के एक छोटे से ग्राम भाभोरा में हुआ था. उनके पिता का नाम राम बदन सिंह और माता का नाम गुजराती देवी था. वे क्षेत्र के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे थे. उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में भौतिक शास्त्र में आचार्य की उपाधि हासिल की. वे 13 साल की उम्र में संघ परिवार से जुड़ गए थे. मिर्जापुर में भौतिकी व्याख्याता की नौकरी लगने के बाद भी संघ से जुड़े रहे. 1974 में उन्हें भारतीय जनसंघ का सचिव नियुक्त किया गया.

आरम्भिक राजनीतिक जीवन

वे 13 साल की उम्र में 1964 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. वह वर्ष 1972 में मिर्जापुर के शाखा कार्यवाह (महासचिव) भी बने. इसे दो साल बाद वर्ष 1974 में वे राजनीति में शामिल हो गए. 1969 और 1971 के बीच वह गोरखपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (आरएसएस के छात्र संगठन) के संगठनात्मक सचिव थे. वह 1972 में आरएसएस की मिर्जापुर शाखा के महासचिव बने. 1974 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ की मिर्जापुर इकाई के लिए सचिव नियुक्त किया गया. 1975 में 24 साल की उम्र में राजनाथ सिंह को जनसंघ का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. 1977 में वह मिर्जापुर से विधानसभा के सदस्य चुने गए. उस समय वह जयप्रकाश नारायण के जेपी आंदोलन से प्रभावित थे और जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और मिर्जापुर से विधानसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे. उन्हें वर्ष 1975 में जेपी मूवमेंट के साथ जुड़ने के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में भी गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 2 साल की अवधि के लिए हिरासत में लिया गया था. जब उन्हें रिहा किया गया था, तब उन्हें विधानसभा के सदस्य के रूप में फिर से चुना गया. उस समय उन्होंने राजनीति में लोकप्रियता हासिल की और 1980 में भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी के शुरुआती सदस्यों में से एक थे. वह 1984 में भाजपा युवा विंग के राज्य अध्यक्ष, 1986 में राष्ट्रीय महासचिव और 2005 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भी चुना गया था.

उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री

1991 में जब भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पहली बार अपनी सरकार बनाई, तो उन्हें शिक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. वह दो साल के कार्यकाल के लिए मंत्री बने रहे. शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के प्रमुख आकर्षण में एंटी-कॉपिंग एक्ट, 1992 शामिल था, जिसने एक गैर-जमानती अपराध की नकल की. विज्ञान की किताबों का आधुनिकीकरण किया और वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किया.

केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री

अप्रैल 1994 में उन्हें राज्य सभा में चुना गया और वे उद्योग पर सलाहकार समिति (1994-96), कृषि मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति और व्यवसाय सलाहकार समिति के साथ हाउस कमेटी, और मानव संसाधन विकास समिति में शामिल हुए. 25 मार्च 1997 को वह उत्तर प्रदेश में भाजपा की इकाई के अध्यक्ष बने और 1999 में वे कैबिनेट मंत्री के तौर पर भूतल परिवहन मंत्री बने.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री

2000 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और 2001 और 2002 में हैदरगढ़ से दो बार विधायक चुने गए. उन्हें राम प्रकाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री के रूप में चुना था और राष्ट्रपति शासन में सफल रहे. बाद में मायावती उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनी थीं. राजनाथ सिंह की सरकार में कल्याण सिंह शिक्षा मंत्री भी थे. उस समय उत्तर प्रदेश में भाजपा के कई नेता भी थे, लेकिन जमीनी स्तर पर बहुत कम लोगों का समर्थन था. वह उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के बहुत करीब थे और राज्य के लोगों के बीच उनकी बहुत साफ छवि थी. उन्होंने राजपूतों के एक नेता के रूप में पहचान मिली.

भाजपा अध्यक्ष

राजनाथ सिंह दो बार पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इससे पहले यह उप‍लब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्‍ण आडवाणी के पास ही थी. वह 31 दिसंबर 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और 19 दिसंबर 2009 तक वह एक पद पर रहे. मई 2009 में वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सांसद चुने गए. राजनाथ सिंह पहली बार 31 दिसंबर, 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. दूसरी बार 23 जनवरी, 2013 से 09 जुलाई, 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. पार्टी की शानदार जीत के बाद राजनाथ सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री का पद संभालने से पहले पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने 2014 का लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से लड़ा था और बाद में उन्हें संसद सदस्य के रूप में चुना गया था.

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केन्द्रीय गृहमंत्री

राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नवगठित सरकार में 26 मई, 2014 को भारत के केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली. वे 2019 तक केंद्रीय गृहमंत्री रहे. दूसरी बार मोदी सरकार में रक्षा मंत्री बने. उन्होंने 1 जून 2019 को केंद्रीय रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला.

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