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Rajouri Encounter: जानिए किस तरह घुसपैठिए के भेष में घुसे आतंकी, कैसे शहीद हुए सेना के 5 जवान?

भारतीय सेना ने डो आतंकियों को मार गिराया. ये खबर गुरुवार को सभी ने सुनी और पढ़ी. लेकिन, क्या उन्हें मार गिराना उतना ही आसान था? क्या आतंकियों से मुकाबला ले रहे भारतीय सेना के जवान आसानी से उन तक पहुंच पाए? अगर आप ऐसा सोचते है या समझते है तो ये शायद आप गलत हो.

Rajouri Encounter: भारतीय सेना ने डो आतंकियों को मार गिराया. ये खबर गुरुवार को सभी ने सुनी और पढ़ी. लेकिन, क्या उन्हें मार गिराना उतना ही आसान था? क्या आतंकियों से मुकाबला ले रहे भारतीय सेना के जवान आसानी से उन तक पहुंच पाए? अगर आप ऐसा सोचते है या समझते है तो ये शायद आप गलत हो. क्योंकि इस जंग की कहानी बहुत ही कठिन रही और भारतीय सेना के जवानों को कई बाधाओं को पार करना पड़ा है. तब जाकर लश्कर-ए-तैयबा का स्नाइपर और विस्फोटक विशेषज्ञ मारा गया है.

कैसे शहीद हुए भारतीय सेना के 5 जवान?

पीर पंजाल रेंज में इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया है. वहां के घने और कम विजीबिलिटी वाले जंगलों और ऊंचे इलाकों में आतंकवादी छिपे हुए थे और भारतीय सेना के जवान नीचे. यही कारण रहा कि जम्मू के कालाकोट क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ दो दिन चले मुठभेड़ के दौरान कार्रवाई में दो सेना अधिकारी और तीन जवान मारे गए. मुठभेड़ से जुड़ी एक जानकारी मीडिया एजेंसी एनडीटीवी के द्वारा दी गई है जिसमें बताया गया है कि आखिर वहां क्या हुआ था?

चरवाहों के घरों में छिपे हुए थे आतंकी

मिली जानकारी के अनुसार, मुठभेड़ के दौरान भारतीय सेना एक ऐसी जगह से कार्रवाई को अंजाम दे रही थी जहां से विजीबिलिटी कुछ मीटर तक ही थी, वहीं आतंकवादी एक ऊंचे स्थान पर मौजूद थे और चट्टानों के पीछे से लगातार गोलीबारी कर रहे थे. साथ ही उन्होंने वहां शरण बना लिया था. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आतंकवादी 19 नवंबर से भाग रहे हैं और इलाके में “ढोक” या चरवाहों के घरों में छिपे हुए थे. स्थानीय लोगों से शिकायत मिलने के बाद सेना इलाके में गई थी और जियारत, माल, गुलाबगढ़ जंगल और सोलाकी क्षेत्र में कार्रवाई शुरू की थी.

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कैप्टन एमवी प्रांजल को सबसे पहले लगी गोली

इस कार्रवाई के दौरान 63 नेशनल राइफल्स के कैप्टन एमवी प्रांजल को सबसे पहले गोली लगी थी जब वह उस इलाके में जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक बुजुर्ग महिला से बात कर रहे थे. बताया जा रहा है कि वहीं पर आतंकवादी छिपे हुए थे. इसके बाद घायल कैप्टन प्रांजल को सुरक्षित निकालने के लिए 9 पैरा के मेजर डीएस मेहरा वहां पहुंचे और आतंकवादियों के साथ गोलीबारी की. इस क्रम में उन्हें भी गोली लग गई और वह घायल हो गए. इस बीच कैप्टन प्रांजल ने दम तोड़ दिया और शहीद हो गए, हालांकि मेजर मेहरा को निकाल लिया गया है और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया.

कैप्टन शुभम गुप्ता और दो जवान गंभीर रूप से घायल

इस गोलीबारी के बाद मेजर मेहरा के बाद 9 पैरा स्पेशल फोर्सेज के कैप्टन शुभम गुप्ता, हवलदार अब्दुल माजिद और लांस नायक संजय बिष्ट उस इलाके में लोहा लेने पहुंचे. मुठभेड़ फिर शुरू हुआ और इस गोलीबारी के दौरान कैप्टन शुभम गुप्ता और दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. वहीं, बीते दिन गुरुवार को सुबह-सुबह पाकिस्तान के रास्ते आतंकियों के मदद के लिए हथियार गिराने की कोशिश की गई जिसे सेना के जवानों ने नाकाम कर दिया. फिर सुबह 9 बजे से ही आतंकयो पर भारतीय सेना आफत की तरह टूट पड़े और गोलीबारी में दो पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया गया.

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कैसे हुआ आतंकियों का सफाया?

सुबह हुए हमले में दो पाकिस्तानी आतंकवादियों में से एक मारा गया. हालांकि, एक अन्य जवान पैराट्रूपर सचिन लॉर भी ऑपरेशन के दौरान कार्रवाई में मारा गया. वहीं, दूसरा आतंकवादी भी बाद में जवानों की गोलीबारी में ढेर हो गया जो संगर (जंगल में पत्थर की संरचना) के पीछे छिपा हुआ था और रुक-रुक कर गोलीबारी कर रहा था. सूत्रों ने कहा कि दो आतंकवादियों में से एक की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के स्नाइपर और विस्फोटक विशेषज्ञ क्वारी के रूप में की गई है, जो एक साल से अधिक समय से राजौरी में सक्रिय था. सूत्रों ने यह बताया कि वह कम से कम तीन आतंकी घटनाओं में शामिल था.

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