कश्मीरी पंडितों की तरह अब राजपूतों को भी करना पड़ेगा घाटी से पलायन! चालक की मौत के बाद समुदाय स्तब्ध
राजपूत समुदाय के लोगों के मन में अब कुलगाम जिले के काकरण में एक आतंकवादी द्वारा एक राजपूत की हत्या के बाद भय एवं अनिश्चितता समा गयी है. वे सुरक्षित स्थान पर जाने पर विचार कर रहे हैं.
कुलगाम (कश्मीर): कश्मीर घाटी में एक बार फिर आतंकवादियों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है. कश्मीरी पंडितों को तो जबरन घाटी से खदेड़ा गया था, लेकिन हाल के दिनों में आतंकवादियों की टारगेट किलिंग की वजह से राजपूत समुदाय भी कश्मीरी पंडितों की तरह पलायन करने पर विचार कर रहा है.
काकरण में राजपूत ड्राइवर की हत्या
कई दशकों के आतंकवाद के बाद भी कश्मीर घाटी में ठहरे रहे राजपूत समुदाय के लोगों के मन में अब कुलगाम जिले के काकरण में एक आतंकवादी द्वारा एक राजपूत की हत्या के बाद भय एवं अनिश्चितता समा गयी है. वे सुरक्षित स्थान पर जाने पर विचार कर रहे हैं. बुधवार शाम को सतीश कुमार सिंह (50) की उनके घर पर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.
चुनिंदा ढंग से हमले बढ़े
कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर हाल में चुनिंदा ढंग से कई हमले हुए हैं. एक दिन बाद भी सिंह के घर से लोगों के रोने एवं सिसकने की आवाज सुनी जा सकती है, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य एवं पड़ोसी अब तक उनकी मौत पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. सिंह की हत्या के बाद उनके पड़ोसी मुसलमान स्तब्ध हैं.
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इफ्तार के वक्त की गयी राजपूत ड्राइवर की हत्या
हमला करने के लिए अकेले आतंकवादी ने इफ्तार का वक्त चुना, जब मुस्लिम पड़ोसी पवित्र रमजान महीने में अपना रोजा खोलने के लिए मस्जिदों में नमाज में व्यस्त थे. पड़ोसी अब्दुल रहमान ने कहा, ‘हमने अब तक कुछ खाया नहीं है. पूरा गांव शोकाकुल है. सिंह बहुत ही नेक इंसान थे.’ गांववालों ने चिता के लिए लकड़ियां इकट्ठा कीं. उनमें से कई लोग राजपूत परिवारों के साथ अपने दोस्ताना संबंधों की चर्चा कर रहे थे.
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों को करना पड़ा था पलायन
सतीश कुमार सिंह के भाई बिटू सिंह ने कहा, ‘वह प्राइवेट लोड कैरियर ड्राइवर के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने कभी किसी का कोई नुकसान नहीं किया.’ सतीश कुमार सिंह के परिवार में वृद्धा मां, पत्नी, तीन बेटियां हैं. कुछ पड़ोसी परिवार के सदस्यों को ढांढ़स बंधाते नजर आये. बिटू सिंह ने कहा कि वे तीन पीढ़ियों से इस गांव में रह रहे हैं और तब भी यहीं रुके रहे, जब 1990 के दशक के प्रारंभ में आतंकवाद ने सिर उठाया एवं कश्मीरी पंडित सामूहिक रूप से घाटी से चले गये.
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राजपूत बोले- पहले कभी डर महसूस नहीं हुआ
उन्होंने कहा, ‘हमें अतीत में कभी डर महसूस नहीं हुआ. हम गांव में आठ राजपूत परिवार हैं और पुलिस गार्ड स्थानीय मंदिर पर तैनात किया गया है.’ उन्होंने कहा कि अब समुदाय घाटी से जाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने उस पोस्टर का हवाला दिया, जिसमें हिंदुओं को कश्मीर से चले जाने को कहा गया है.
तारिगामी ने ड्राइवर की हत्या की निंदा की
कुलगाम से कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने सिंह की हत्या की निंदा की. उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के वीरान गांव में ‘धमकी भरा’ पत्र बुधवार को आया . ‘लश्कर-ए-इस्लामी’ नामक अब तक अज्ञात संगठन ने गांव के बाशिंदों को धमकी दी है. इस गांव में कश्मीरी पंडितों का एक समूह रहता है.
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चिट्ठी की जांच कर रही पुलिस
पुलिस ने कहा, ‘यह मामला हमारे पास आया है. उसका संज्ञान लिया गया है और जांच शुरू की गयी है. हम पत्र की विश्वसनीयता एवं प्रमाणिकता का परीक्षण कर रहे हैं.’ पुलिस ने कहा, ‘यह धमकी व्यावहारिक नहीं जान पड़ती है, क्योंकि यह आतंकवादी संगठन अस्तित्व में नहीं जान पड़ता है, यह पत्र भी बिना दस्तखत वाला है एवं डाक के जरिये भेजा गया है. पहले ही उठाये गये सुरक्षा एवं एहतियात कदम ठोस हैं. लेकिन एहतियातन फिर से मूल्यांकन किया जा रहा है.’