Rajyasabha chunav 2020: उत्तराखंड (Uttrakhand) में नरेश बंसल (Naresh Bansal) को राज्यसभा (Rajya Sabha) का प्रत्याशी बनाकर भाजपा (BJP) ने पहाड़ और मैदान की राजनीति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है. बंसल को उम्मीदवार बनाकर हिन्दुत्व के एजेंडे को भी आगे बढ़ाया गया है. बंसल ने संघ के कारण सरकारी नौकरी (Sarkari Naukri) छोड़ दी थी और वे राम मंदिर (Ram mandir) आंदोलन में भी अग्रणी रहे.
पहाड़ से जुड़ी हैं जड़ें : बंसल मैदान से हैं और वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं. पार्टी ने वैश्य समाज के साथ मैदान को भी तरजीह दी है. लोकसभा और राज्यसभा में वर्तमान में भाजपा को जो चेहरे उत्तराखंड प्रतिनिधित्व करते हैं, सभी का संबंध पहाड़ से है. लोकसभा में हरिद्वार से डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, टिहरी से महारानी राज्यलक्ष्मी, अल्मोड़ा से अजय टम्टा, नैनीताल से अजय भट्ट और गढ़वाल से तीरथ सिंह रावत, इन सभी की जड़ें पहाड़ में हैं.
खास बातें :-
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नरेश बंसल को बीजेपी ने बनाया राज्यसभा प्रत्याशी
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वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं नरेश बंसल
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राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अग्रणी भूमिका
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हिंदू जागरण मंच के नगर अध्यक्ष भी रहे
इसी तरह राज्यसभा में अनिल बलूनी राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वे भी पहाड़ से ही ताल्लुक रखते हैं. कुशल नेतृत्व व बेहतर सांगठनिक कौशल के कारण पार्टी में उनकी छवि हरफनमौला की है. फरवरी 1977 में सिंचाई विभाग में संघ से संपर्क के कारण सेवा समाप्ति का नोटिस मिला. जुलाई 1977 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बाद में उनकी नियुक्ति यूको बैंक मे हुई. वे आठ वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ कर स्वयं सेवक बने.
राम मंदिर (Ram mandir) आंदोलन में भी अग्रणी रहे : नरेश बंसल ने प्रतिबंधित रामनवमी की शोभायात्रा संघर्षों के बाद प्रारंभ की. 1989 में श्रीराम शिला पूजन समिति का नगर संयोजक का दायित्व निभाया. श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के समय गठित उत्तराखंड संवाद समिति के कोषाध्यक्ष रहे. 1972 में विद्यार्थी परिषद के जिला संयोजक का दायित्व निभाया. नरेश बंसल 1980 से 1986 तक हिंदू जागरण मंच के नगर अध्यक्ष रहे.
Posted by: Pritish Sahay