संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुनाव होने जा रहा है. सभी राजनीतिक दल चुनावी गणित लगाकर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं. राज्यसभा की कुल 57 सीटों पर चुनाव हो रहा है. 10 जून को वोटिंग होगी. सवाल है कि क्या आप राज्यसभा की पूरी चुनावी प्रक्रिया समझते हैं, क्या आप जानते हैं कि चुनाव कैसे होता है ? मतदान कैसे होता है. आइये इसे पूरी तरह समझते हैं.
संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुनाव होने जा रहा है. सभी राजनीतिक दल चुनावी गणित लगाकर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं. राज्यसभा की कुल 57 सीटों पर चुनाव हो रहा है. 10 जून को वोटिंग होगी. सवाल है कि क्या आप राज्यसभा की पूरी चुनावी प्रक्रिया समझते हैं, क्या आप जानते हैं कि चुनाव कैसे होता है ? मतदान कैसे होता है. आइये इसे पूरी तरह समझते हैं.
इससे पहले कि हम चुनावी प्रक्रिया को विस्तार से समझें जरूरी है कि हम राज्यसभा को समझ लें. राज्यसभा में कुल संदस्यों की संख्या 250 होती है इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति की तरफ से मनोनीत किया जाता है. बाकी 238 सदस्यों का चुनाव विधायक और सांसद करते हैं. इसके लिए अलग-अलग प्रदेशों की विधानसभाओं के वोटों का मुल्य तय होता है.
किस राज्य की विधानसभा के वोटों का कितना मुल्य होगा यह उसकी जनसंख्या के आधार पर तय होता है, जिस राज्य की जितनी अधिक जनसंख्या होगी उस राज्य की विधानसभा के वोटों का मुल्य उतना अधिक होगा. जनसंख्या के लिहाज से भारत में उत्तर प्रेदश सबसे बड़ा राज्य है और यहां पर राज्यसभा सदस्यों की संख्या 31 है.
राज्यसभा सदस्यों का चुनाव अलग-अलग प्रदेशों से चुने गये विधायक करते हैं. विधायक एक समय में एक ही उम्मीदवार को वोट कर सकते है हालांकि वोट ट्रांसफर किया जा सकता है, अगर जिस उम्मीदवार को वोट डाला गया है, वो पहले ही जीत चुका है, तो ऐसे में वोट दूसरी वरीयता प्राप्त उम्मीदवार को ट्रांसफर हो सकता है. वहीं दूसरी सूरत है कि किसी उम्मीदवार को इतने कम वोट मिले हैं कि उसके जीतने की उम्मीद ना हो. इसके लिए विधायक उम्मीदवारों के नाम के आगे प्राथमिकता के आधार पर 1 से लेकर 4 तक नंबर लिख देते हैं.
अब वोटिंग फार्मूला समझ लीजिए पहली प्राथमिकता वाले वोटों का भी एक नंबर तय होता है. एक उम्मीदवार को जीत के लिए कितने वोट चाहिए ये पहले से कुल विधायकों की संख्या और कुल राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के गणित से तय होता है. यहां जिस फॉर्मूले का इस्तेमाल होता है उसमें – राज्य के कुल विधायकों की संख्या को राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के नंबर में 1 जोड़कर भाग दिया जाता है.
पहली वरीयता वाला वोट जोड़कर जो नंबर सामने आता है, वही जीत के लिए जरूरी अंक हो जाता है. इसे समझने के लिए उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेते हैं. यहां विधायकों की कुल संख्या 403 है. अब प्रत्येक सदस्य को राज्यसभा पहुंचने के लिए कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त होना चाहिए इसे कैसे निकाला जाता है यह तय करने के लिए कुल विधायकों की संख्या को जितने सदस्य चुने जाने हैं उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है.
इस बार यहां से 10 राज्यसभा सदस्यों का चयन होना है. इसमें 1 जोड़ने से यह संख्या 11 होती है. अब कुल सदस्य 403 हैं तो उसे 11 से विभाजित करने पर 36.66 आता है. इसमें फिर 1 जोड़ने पर यह संख्या 37.66 हो जाती है. यानी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनने के लिए उम्मीदवार को 37 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी