Rajya Sabha:संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष की ओर से अदाणी मामले पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा जारी है. लगातार चौथे दिन भी विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को दो दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया. विपक्षी सांसदों के हंगामे पर उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ नाराज हो गये. उन्होंने विपक्षी सांसदों के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सांसदों का व्यवहार जनहित के खिलाफ है. सोमवार को सत्र शुरू होते ही विपक्षी सांसदों की ओर से अदाणी के खिलाफ अमेरिका में लगे भ्रष्टाचार के आरोप, संभल और मणिपुर हिंसा पर चर्चा कराए जाने की मांग लगातार की जा रही है.
धनखड़ ने कहा कि वे विपक्षी सांसदों के व्यवहार से दुखी और निराश है. उन्होंने विपक्ष से कहा, “आप वरिष्ठ सदस्य हैं और ऐसे में सांसदों के व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. विपक्षी सांसद एक गलत परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं और लोगों की भावना का अनादर कर रहे हैं. देश के लोग सांसदों के व्यवहार की आलोचना कर रहा है और हम हंसी के पात्र बनते जा रहे हैं. हम लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं. हमारा व्यवहार आम लोगों के हित में नहीं है”. हंगामे के बीच उपराष्ट्रपति ने सांसदों से संयम बरतने की अपील की, लेकिन हंगामा जारी रहा और सदन की कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया. लोकसभा में विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी.
हंगामे के कारण जनहित के मुद्दों पर नहीं हो पा रही है चर्चा
हंगामे के बीच उपराष्ट्रपति ने कहा कि विपक्ष लगातार एक मुद्दे को उठाकर सदन को बाधित करने का काम कर रहा है. हंगामे के कारण शीतकालीन सत्र में कामकाज नहीं हो पाया है. सांसदों का व्यवहार उनके द्वारा लिए शपथ और कर्तव्य के खिलाफ है. समय की बर्बादी से अवसर बर्बाद हो रहा है. प्रश्नकाल नहीं चलने के कारण लोगों से जुड़े मुद्दे सदन में नहीं उठाए जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि नियम 267 को सदन को बाधित करने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. वरिष्ठ सदस्य इस नियम का प्रयोग कर सदन को बाधित कर रहे हैं और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. नियम 267 के तहत राज्यसभा सदस्य को सभापति की मंजूरी से सदन के पूर्व-निर्धारित एजेंडे को निलंबित कर उठाए गए विषय पर चर्चा का अधिकार देता है. नियम 267 के तहत अगर प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है तो सदन में सभी काम रोककर उस विषय पर चर्चा शुरू हो जाती है.
कोई भी सदस्य सभापति की सहमति से यह प्रस्ताव पेश कर सकता है. गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति ने हाल में जानकारी दी थी कि पिछले 36 साल में नियम 267 के तहत सिर्फ 6 बार ही चर्चा हुई है. लेकिन विपक्ष रोज इस नियम के तहत दर्जनों नोटिस दे रहा है.