Loading election data...

आंदोलन से आराधना तक: त्रिशूल से भूमि पूजन तक कैसी रही राम भक्तों की लड़ाई

ram mandir aandolan timeline, bhoomi pujan, 5 august 2020, ram temple ayodhya latest news : अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर तैयारियां जोरों पर है. पीएम नरेंद्र मोदी 5 अगस्त 2020 को चांदी की ईंट रखकर भूमिपूजन करेंगे. पीएम मोदी के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मौजूद रहेंगे. पीएम मोदी इस दौरान देश को संबोधित भी कर सकते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2020 6:00 PM

अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन को लेकर तैयारियां जोरों पर है. पीएम नरेंद्र मोदी 5 अगस्त 2020 को चांदी की ईंट रखकर भूमिपूजन करेंगे. पीएम मोदी के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ मौजूद रहेंगे. पीएम मोदी इस दौरान देश को संबोधित भी कर सकते हैं.

बता दें कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ. इससे पहले, अयोध्या में मंदिर का आंदोलन बीते 30 सालों से चल रहा था. आंदोलन की शुरूआती नींव सन् 1980 के दशक में रखाया, जब फैजाबाद के मजिस्ट्रेट ने विवाद बढ़ने पर मंदिर में ताला लगवा दिया. हालांकि तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के आदेश के बाद ताला जरूर खुल गया, लेकिन इसके बाद राम मंदिर का विवाद शुरू हो गया.

1989 में शुरुआत– पहली बार अयोध्या आंदोलन की औपचारिक शुरूआत सन् 1989 में हुई, जब विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल के नेतृत्व में कारसेवकों ने अयोध्या में जाकर मंदिर का शिलान्यास कर दिया. यह आंदोलन इसके साथ ही रफ्तार पकड़ती चली गई, जो 1990 के बाद का सबसे विवादित मुद्दा बन गया था

आडवाणी की रथ यात्रा- बीएचपी द्वारा शुरू किया गया राम मंदिर आंदोलन में 1990 में बीजेपी भी कूद गई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के तत्कालिक अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर बनाने के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए भव्य रथ यात्रा निकाली. उस दौरान वीपी सिंह की सरकार थी. आडवाणी के रथ को बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रोक दिया, जिसके बाद राम मंदिर आंदोलन के कार सेवक अयोध्या की तरफ कुछ कर निकला.

1990 में चली थी गोली- यूपी सरकार द्वारा तमाम शांति की अपील के बावजूद कारसेवक मंदिर के पास त्रिशूल और डंडा लेकर पहुंच गये. बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त यूपी के सीएम मुलायम सिंह यादव पुलिस प्रशासन से काफी नाराज हुए और उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया. पुलिस इसके बाद कारसेवकों पर गोली चलाई, जिसमें तकरीबन एक दर्जन कार सेवक मारे गए.

हाईकोर्ट में चली लंबी सुनवाई– राम मंदिर निर्माण को इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई चली. 2010 में हाईकोर्ट ने इसपर फैसला दिया. दरअसल, अप्रैल 2002 में हाईकोर्ट में मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारूकी वनाम भारतीय संघ मामले में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया था, जिसके बाद हिंदू संगठन से जुड़े संस्था सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला- इस पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में 45 दिन से अधिक लगातार सुनवाई चली, जिसके बाद कोर्ट की पांच जजों की बैंच ने जमीन पर फ़ैसला सुनाते हुए जमीन रामलला विराजमान को दे दिया.

Next Article

Exit mobile version