Ayodhya Ram Mandir: शीश पर मुकुट, कुंडल…रामलला ने धारण किए ये दिव्य आभूषण, जानें क्या है खासियत
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सोशल मीडिया में जानकारी दी है कि इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा अन्य पुस्तकों के अध्ययन और शोध के बाद किया गया है.
500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार प्रभु श्रीराम अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित हजारों की संख्या में गणमान्य लोगों की मौजूदगी में रामलला के दिव्य मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई. भगवान राम को दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सजाया गया है. आइये उन आभूषणों और वस्त्र के बारे में जानें.
दिव्य आभूषणों का निर्माण इस आधार पर किया गया
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सोशल मीडिया में जानकारी दी है कि इन दिव्य आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा अन्य पुस्तकों के अध्ययन और शोध के बाद किया गया है. इस शोध के बाद यतींद्र मिश्र ने आभूषणों को डिजाइन किया है और आभूषणोंं का निर्माण हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स लखनऊ ने किया है.
Gracing his grand abode, Prabhu Shri Ram Lalla radiates in divine ornaments and attire, a vision of spirituality and tradition.
The creation of these divine ornaments is based on extensive research and study following the descriptions of Shri Ram's scripturally appropriate… pic.twitter.com/acQ5nSew9F
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 22, 2024
भगवान राम ने पहनी है पीताम्बरी धोती
भगवान राम गर्भ गृह में पीले रंग की धोती तथा लाल रंग के अंगवस्त्रम में नजर आ रहे हैं. इन वस्त्रों पर सोने की जरी और तारों का काम है. भगवान के वस्त्र पर शंख, पद्म, चक्र और मयूर के डिजाइन बने हुए हैं. भगवान राम के वस्त्रों की डिजाइन और निर्माण का काम दिल्ली के ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने किया है.
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मुकुट – भगवान के मुकुट का निर्माण उत्तर भारतीय परंपरा के अनुसार किया गया है. मुकुट सोने से बनाया गया है. इस स्वर्ण मुकुट में माणिक्य, पन्ना और हीरे जड़े हुए हैं. मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित है.
कुंडल- भगवान के कुंडल का निर्माण बहुत ही खूबसूरती के साथ किया गया है और उसे मुकुट से मैच करता हुआ बनाया गया है. कुंडल में मयूर की आकृति बनी हैं . कुंडल भी स्वर्ण निर्मित है और इसमें हीरा, माणिक्य और पन्ना जड़ा है.
कण्ठ – भगवान के गले में अर्द्धचंद्राकर कण्ठा सुशोभित है. जिसके मध्य में सूर्य देव बने हैं. सोने से बने हुए इस कण्ठ हार में हीरा, माणिक्य और पन्ना जड़ा है.
कौस्तुभमणि – भगवान को कौस्तुभमणि धारण कराया गया है. इसमें एक बड़ा माणिक्य जड़ा है और यह हीरों से अलंकृत है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं.
पदिक – भगवान को कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पदिक हार पहनाया गया है, इस सज्जा का विशेष महत्व है. यह पदिक पांच लड़ियों वाला है और हीरा और पन्ना जड़ित है.
वैजयन्ती माला – भगवान को तीन हार पहनाया गया है जिसमें यह सबसे लंबा है. यह हार पूरी तरह सोने का बना है, जिसमें माणिक्य जड़ा है. इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, इस हार में वैष्णव परम्परा के अनुसार सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंस्व और मंगल-कलश दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं.
करधनी – भगवान को कमरधनी भी पहनाया गया है, जो रत्नजड़ित है. सोने से बना यह करधनी बहुत खूबसूरत है, इसे हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत किया गया है. इसमें पांच घंटियां भी लगाई गई हैं, जो पवित्रता का सूचक हैं.