चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच देश में एक बार फिर से यह चर्चा आम होती जा रही है कि क्या देश में एक बार फिर कोरोना अपना फन फैलायेगा और इंसान एक दूसरे से दूर भागेगा? इस संबंध में एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ विस्तार से बातचीत की और कहा कि चीन में कोरोना का प्रकोप ज्यादा दिख रहा हो, लेकिन अभी भारत के लोगों को उतना ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है.
रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जब दुनिया में कोरोना वायरस आया था तो उस वक्त हमारे पास कोई रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं थी. परिणाम यह हुआ कि कई लोग गंभीर रूप से संक्रमित हो गये थे. लेकिन अब जबकि महामारी को तीन साल हो गये हैं, लोगों के पास इस वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता है. साथ ही लगभग देश की पूरी आबादी को वैक्सीन लग चुका है. देश में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें कोरोना का संक्रमण एक से अधिक बार हुआ है. इसका फायदा यह है कि उनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक विकसित हो चुकी है.
रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में लोगों ने कोरोना के कई अलग-अलग संस्करण का सामना किया है, जिसमें अल्फा, बीटा और डेल्टा जैसे खतरनाक वैरिएंट का सामना हमने किया है. इसकी वजह से अब कोरोना वायरस उतना खतरनाक हमारे लिए साबित नहीं हो रहा है, जितना की पहले था. बावजूद इसके हमें चीन में कोरोना वायरस के प्रभाव पर नजर रखनी चाहिए. अगर अस्पताल में भरती होने और मौत की संख्या बढ़ती है, तो हमें सतर्क रहने की जरूरत है.
एम्स में अपने कार्यकाल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने एम्स में विस्तार की योजना बनायी थी, जिसपर काम हो रहा था. लेकिन कोरोना की वजह से उसपर असर पड़ा. हालांकि अब फिर से एम्स में उसपर काम हो रहा है. लोगों की भीड़ वहां बढ़ी है लेकिन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को बुलाने की जो योजना थी उसमें विलंब हुआ है.
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