ओडिशा के सिमिलिपाल में मृत पाया गया दुर्लभ मेलानिस्टिक बाघ, जांच जारी
दुर्लभ प्रजाति के मेलानिस्टिक बाघ के मृत पाये जाने की वजह दो नर बाघों की लड़ाई बताया जा रहा है. मुख्य वन संरक्षक ने बताया, रॉयल बंगाल टाइगर की मौत के सही कारण का तुरंत पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि बाघ की मौत संदिग्ध लड़ाई के कारण हुई थी.
ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में एक दुर्लभ प्रजाति का मेलानिस्टिक बाघ मृत पाया. जिसके बाद इलाके में सनसनी मच गयी. मृत पाये जाने के बाद वन अधिकारी जांच में जुट गये हैं. ओडिशा के मुख्य वन संरक्षक सुशील कुमार पोपली ने बताया, 3.5 साल के बाघ का शव सोमवार को बाघ अभयारण्य के अधिकारियों को मिला.
दो बाघों की लड़ाई में गयी बाघ की जान ?
दुर्लभ प्रजाति के मेलानिस्टिक बाघ के मृत पाये जाने की वजह दो नर बाघों की लड़ाई बताया जा रहा है. मुख्य वन संरक्षक ने बताया, रॉयल बंगाल टाइगर की मौत के सही कारण का तुरंत पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि बाघ की मौत संदिग्ध लड़ाई के कारण हुई थी. बाघ आमतौर पर इधर-उधर घूमते हैं और अपना क्षेत्र तय करते हैं. इसलिए, हमें संदेह है कि दो नर बाघ अपने क्षेत्र को लेकर आपस में लड़े और उनमें से एक की मौत हो गयी.
प्राथमिक जांच में बाघ के शव पर चोट के निशान पाये गये
वन अधिकारियों ने बताया, प्राथमिक जांच में बाघ के शव पर चोट के कई निशान होने की पुष्टि हुई है. बताया जा रहा है बाघ की मौत किस वजह से हुई, इसकी जांच के लिए एक संयुक्त टास्क फोर्स तैयार किया गया है. टीम ने सबूत इकट्ठा करने और बाघ की मौत के पीछे के कारण का पता लगाने के लिए इलाके का दौरा किया.
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Odisha | A rare melanistic tiger was found dead in Similipal Tiger Reserve yesterday. The postmortem of the tiger was conducted today. Preliminary cause of death is suspected to be infighting between two males based on injury marks on the body. However, the test results will give… pic.twitter.com/C4nYePRvkm
— ANI (@ANI) May 1, 2023
पूरी दुनिया में केवल सिमलीपाल टाइगर रिजर्व में ही पाये जाते हैं मेलेनिस्टिक बाघ
गौरतलब है कि सिमलीपाल टाइगर रिजर्व दुनिया का एकमात्र बाघ निवास स्थान है, जहां मेलेनिस्टिक बाघ हैं. मेलेनिस्टिक बाघ के शरीर पर चौड़ी काली धारियां होती हैं और सामान्य बाघों की तुलना में मोटे होते हैं. रिजर्व ने पहली बार 2007 में मेलेनिस्टिक बाघों की उपस्थिति की सूचना दी गयी थी. 2016 में रिजर्व में ओडिशा वन विभाग द्वारा की गई जनगणना में छह मेलानिस्टिक बाघ पाए गए.