Rath Yatra 2024: ‘पहांडी’ अनुष्ठान पूर्वाह्न करीब सवा 11 बजे आरंभ हुआ और जब भगवान सुदर्शन को सबसे पहले देवी सुभद्रा के रथ ‘दर्पदलन’ तक ले जाया गया तो पुरी मंदिर के सिंहद्वार पर घंटियों, शंखों और मंजीरों की ध्वनियों के बीच श्रद्धालुओं ने ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारे लगाए. भगवान सुदर्शन के पीछे-पीछे भगवान बलभद्र को उनके ‘तालध्वज रथ’ पर ले जाया गया। सेवक भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र की बहन देवी सुभद्रा को विशेष शोभा यात्रा निकालकर ‘दर्पदलन’ रथ तक लाए. अंत में, भगवान जगन्नाथ को घंटियों की ध्वनि के बीच एक पारंपरिक शोभा यात्रा निकालकर ‘नंदीघोष’ रथ पर ले जाया गया. देवी-देवताओं को मंदिर से रथों तक ले जाने का ‘पहांडी’ अनुष्ठान दोपहर करीब सवा दो बजे सम्पन्न हुआ.
गजपति महाराजा ने रथों की विधिवत सफाई की
पुरी रथ यात्रा से पहले अनुष्ठान के रूप में पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों – बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों की विधिवत सफाई की. जिसे ‘छेरा पहरा’ कहा जाता है. नियमों के अनुसार हर वर्ष यात्रा से पहले गजपति महाराज रथों की सफाई करते हैं. इधर पुरी में आज होने जा रही दो दिवसीय भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रथ यात्रा को लेकर पहुंचीं पुरी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज से पुरी में शुरू होने वाली दो दिवसीय भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए पुरी पहुंचीं. इस दौरान मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे. भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को रत्न जड़ित सिंहासन से उतारकर 22 सीढ़ियों (बैसी पहाचा) के माध्यम से सिंह द्वार से होकर एक विस्तृत शाही अनुष्ठान ‘पहांडी’ के जरिए मंदिर से बाहर लाया गया. मंदिर के गर्भगृह से मुख्य देवताओं को बाहर लाने से पहले ‘मंगला आरती’ और ‘मैलम’ जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान आयोजित किए गए.
53 साल बाद दो दिवसीय यात्रा होगी
पुरी में 53 साल बाद दो दिवसीय यात्रा होगी. ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार, इस साल दो-दिवसीय यात्रा आयोजित की गई है. आखिरी बार 1971 में दो-दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था.
बलभद्र करेंगे रथ यात्रा का नेतृत्व
भगवान बलभद्र ‘तालध्वज’ पर सवार होकर रथ यात्रा का नेतृत्व करेंगे. उनकी बहन देवी सुभद्रा उनके पीछे ‘दर्पदलन’ में होंगी और आखिर में भगवान जगन्नाथ ‘नंदीघोष’ पर सवार होकर यात्रा करेंगे. गर्मी और उमस के बावजूद रविवार को भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में शामिल होने के लिए तीर्थ नगरी पुरी में लाखों श्रद्धालु उमड़े.