Jagannath Puri Rath Yatra : आज रात 9 बजे से बुधवार दोपहर 2 बजे तक पूरी तरह से बंद रहेगा पुरी जिला
भुवनेश्वर : ओड़िशा का पुरी जिला भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के आयोजन को लेकर पूरी तरह बंद कर दिया गया है. कोरोनावायरस संक्रमण के इस संकट भरे दौर में सभी प्रकार के बड़े आयोजनों पर रोक है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त रथयात्रा निकालने की अनुमति दी है. संक्रमण से बचाव को लेकर जिले को सोमवार रात 9 बचे से बुधवार दोपहर दो बजे के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है.
भुवनेश्वर : ओड़िशा का पुरी जिला भगवान जगन्नाथ रथयात्रा के आयोजन को लेकर पूरी तरह बंद कर दिया गया है. कोरोनावायरस संक्रमण के इस संकट भरे दौर में सभी प्रकार के बड़े आयोजनों पर रोक है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त रथयात्रा निकालने की अनुमति दी है. संक्रमण से बचाव को लेकर जिले को सोमवार रात 9 बचे से बुधवार दोपहर दो बजे के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है.
पुरी की ऐतिहासिक रथयात्रा मंगलवार 23 जून को निकाली जायेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए रथयात्रा निकाले जाने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने रथयात्रा की अनुमति शर्तों के साथ दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरी की रथयात्रा का आयोजन मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से आयोजित की जाए, लेकिन इस बात का खास ख्याल रखा जाए कि स्वास्थ्य के मुद्दों को दरकिनार ना किया जाये.
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह कहा गया कि पुरी की रथयात्रा को आम लोगों की भागदारी के बिना आयोजित किये जाने की अनुमति दी जा सकती है. ओड़िशा सरकार ने भी कुछ प्रतिबंधों के साथ पुरी रथ यात्रा के आयोजन के मत का समर्थन किया. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ को ओड़िशा सरकार ने सूचित किया कि वह मंदिर प्रबंधन और केंद्र के साथ तालमेल करके रथ यात्रा के आयोजन के दौरान चीजों को सुगम बनायेगी.
केंद्र ने भी पीठ को सूचित किया कि नागरिकों के स्वास्थ्य से समझौता किये बगैर राज्य सरकार और मंदिर ट्रस्ट के सहयोग से रथ यात्रा का आयोजन किया जा सकता है. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह ओडिशा में अन्य स्थानों के लिये नहीं बल्कि सिर्फ पुरी में ही रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति देने के मुद्दे पर ही विचार कर रहा है. प्रधान न्यायाधीश ने नागपुर में अपने आवास से वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से पीठ की अध्यक्षता की.
इससे पहले, कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुये न्यायालय ने 18 जून को अपने आदेश में इस ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन करने की अनुमति नहीं दी थी. साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी की थी, ‘अगर हम इसकी अनुमति देंगे तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.’ शीर्ष अदालत ने ओड़िशा स्थित एक गैर सरकारी संगठन ओड़िशा विकास परिषद की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया.
पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘रथ यात्रा के लिये इतनी बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं के एकत्र होने से उत्पन्न खतरे को देखते हुये हम सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हितों के मद्देनजर प्रतिवादियों को इस वर्ष रथ यात्रा का आयोजन करने से रोकना उचित समझते हैं.’ पीठ ने आदेश में यह भी कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 25 (1) लोक व्यवस्था और स्वास्थ्य के अधीन रहते हुये सभी को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, उसके अनुरूप आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है.
Posted by: Amlesh Nandan Sinha.