केंद्रीय कैबिनेट की फेरबदल में 12 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. 43 मंत्रियों को एक तरफ कैबिनेट में शामिल किया गया तो दूसरी तरफ कई अहम विभाग के मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया. जिन 12 मंत्रियों को हटाया गया है उनमें छह कैबिनेट रैंक के थे, एक संतोष गंगवार राज्य मंत्री थे. इनमें से थारव चंद गहलोत को कर्नाकट का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. आइये जानते हैं इन मंत्रियों के हटाये जाने के पीछे की वजह क्या थी, नाराजगी क्या थी ?
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कोयला मंत्रालय, कानून व न्याय मंत्रालय और सूचना व प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे रविशंकर प्रसाद का इस्तीफा चौकाने वाला था. इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रविशंकर प्रसाद बीहड़ और माओवाद से ग्रस्त इलाकों तक आईटी को नहीं पहुंचा सके साथ ही टि्वटर के साथ हुई जंग में भी सरकार की छवि पर सवाल खड़े किये गये. वह मोदी सरकार के बेहतरीन प्रवक्ता होते हुए भी वह विवादों को नहीं सभाल सके.
स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन की भी कुर्सी चली गयी. टाइम्स ऑफ इंडिया ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान सही व्यस्था ना होने और कई तरह की कमियों को लेकर उनका इस्तीफा मांगा गया. अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी, बेड की कमी की वजह से कई लोगों की मौत हुई.
प्रकाश जावड़ेकर
प्रकाश जावड़ेकर का इस्तीफा भी सभी के लिए हैरान करने वाला था. संसदीय कार्य मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री, भारी उद्योग व सार्वजनिक उपक्रम मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री और सूचना व प्रसारण .
रिपोर्ट के अनुसार उनका प्रदर्शन सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय के साथ – साथ जलवायु परिवर्तन में भी काम का प्रदर्शन उतना बेहतर नहीं था. जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर प्रधानमंत्री की कड़ी नजर थी क्योंकि वह पीएम ऑफिस का पसंदीदा मंत्रालय था. सूत्रों की मानें तो उम्र ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. जावड़ेकर जनवरी में 70 साल के हो रहे हैं.
नव संसाधन विकास मंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक को इतिहास के विषय की कमियों को दूर करने में असफल रहे इसके अलावा उत्तराखंड में होने वाले चुनाव के मद्देनजर भी यह फैसला लिया गया है. उत्तराखंड में भाजपा की कमजोर होती पकड़ को इनके जरिये साधने की कोशिश है.
सामाजिक न्याय व सशक्तीकरण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे गहलोत एससी समुदाय से आते हैं उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया. गहलोत की उम्र 73 साल की है उनकी उम्र भी बड़ा कारण है.
मोदी सरकार के सात सालों में जिसने कई आयाम देखे उनमें से एक मंत्री है सदानंद गौड़ा साल 2014 में उन्हें रेल मंत्रालय मिला. इसके बाद उन्हें कानून मंत्रालय मिला. उनका प्रदर्शन भी विभाग में बेहतर नहीं था जिस वजह से मोदी ने यह फैसला लिया.
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श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे संतोष गंगवार से मोदी सरकार नाराज रही क्योंकि कोरोना संक्रमण के दौरान मजदूर संकट दूर नहीं हो सका. इस परेशानी से निपटने में मंत्रालय असरदार नहीं रहा जिस वजह से यह फैसला लिया गया.