कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कई पूंजीपतियों के कर्ज बट्टे खाते में डालने से जुड़ी रिपोर्ट को लेकर कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे भगोड़ों से कर्ज की वसूली के लिए कदम उठाना चाहिए.
पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि इन लोगों से कर्ज वसूल करने के लिए मौजूदा नियमसें में बदलाव भी किये जा सकते हैं. चिदंबरम ने ट्वीट किया, कर्ज़माफी या बट्टेखाते में डाले जाने पर बहस अव्यवहारिक है. इससे नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और विजय माल्या जैसे लोग खुश होंगे. नियम इंसानों ने ही बनाये हैं.अगर कोई नियम बनाया जा सकता है, तो उसे खत्म भी किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक गलती को दुरुस्त करने का एकमात्र रास्ता है कि रिजर्व बैंक सभी संबद्ध बैंकों को निर्देश दे कि वे अपने बही-खातों में लिखे ब्यौरे को पलटें और भगोड़ों से वसूल नहीं किये जा सके कर्ज़ को अपनी बही में बकाया कर्ज के तौर पर दिखाकर उनकी वसूली के लिए कदम उठाएं.
दरअसल, कांग्रेस का दावा है कि ‘24 अप्रैल को आरटीआई के जवाब में रिज़र्व बैंक ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए 50 सबसे बड़े बैंक घोटालेबाजों का 68,607 करोड़ रुपया ‘माफ करने’ की बात स्वीकार की. इनमें भगोड़े कारोबारी चोकसी, नीरव मोदी और माल्या के नाम भी शामिल हैं. कांग्रेस के इस दावे को लेकर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार रात कहा कि जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाले संप्रग सरकार की ‘फोन बैंकिंग’ के लाभकारी हैं और मोदी सरकार उनसे बकाया वसूली के लिए उनके पीछे पड़ी है.
इधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और जानमाने अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने देश में सामाजिक सौहार्द को बरकरार रखने की जरूरत पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि कोरोना महामारी जैसे बड़े संकट के समय भारतीय समाज विभाजन और नफरत का जोखिम मोल नहीं ले सकता. वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद के दौरान दोनों ने दुनिया के कई हिस्सों में अधिनायकवादी मॉडल एवं व्यक्तिव के उभार को लेकर भी चिंता जतायी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि अगर विभाजन और नफरत होगी तो लोग बंटेंगे. यह भी एक ढांचा है. विभाजन का एक ढांचा और नफरत का भी एक ढांचा है जो बड़ी सस्या पैदा करते हैं. इस पर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर राजन ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर. सामाजिक सद्भाव में ही जनता का हित है. हर किसी को यह विश्वास दिलाना जरूरी है कि वह व्यवस्था का हिस्सा है और उसका बराबर का हिस्सा है. हम अपने घर के बंटे होने का जोखिम मोल नहीं ले सकते. खासतौर पर उस समय जब चुनौती इतनी बड़ी है.