नयी दिल्ली : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर एक और विवादित बयान दे दिया है. उन्होंने भगवान राम और अयोध्या पर अपना अधिकार बता दिया है. न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से खबर है कि केपी शर्मा ओली ने विवादित बयान देते हुए कहा कि असली अयोध्या भारत में नहीं, बल्कि नेपाल में है. वो इतने में ही नहीं रुकते हैं और भगवान राम को लेकर भी टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा, भगवान राम भारतीय नहीं, बल्कि नेपाली थे. ओली के इस बयान पर भारी हंगामा मच सकता है.
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत विरोधी बयान देने में अपनी सारी सीमायें लांघ जाते हैं. उन्होंने कई मौकों पर भारत के खिलाफ जहर उगला है. इससे पहले भी उन्होंने अपनी सरकार पर आये संकट के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया था. उन्होंने भारत पर आरोप लगाया था और कहा था कि जब से उन्होंने नेपाल का नया नक्शा जारी किया है, तब से उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए कुछ दुतावास के अधिकारी लेगे हुए हैं. उनका इशारा भारत की ओर ही था. मालूम हो भारत विरोधी बयान के लिए केपी शर्मा को खुद अपनी ही पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ा है, विवाद इतना बढ़ा कि उनकी सरकार पर भी संकट के बादल छा गये.
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ सहित एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ‘ना तो राजनीतिक रूप से सही थी, ना ही कूटनीतिक रूप से उचित थी. ‘ हाल के दिनों में ओली और प्रचंड ने एक-दूसरे के साथ आधा दर्जन से अधिक बैठकें की हैं लेकिन दोनों नेता सत्ता साझेदारी के करीब कहीं से भी नहीं पहुंच पाये हैं.
Real Ayodhya lies in Nepal, not in India. Lord Ram is Nepali not Indian: Nepali media quotes Nepal Prime Minister KP Sharma Oli (file pic) pic.twitter.com/k3CcN8jjGV
— ANI (@ANI) July 13, 2020
ओली और प्रचंड के बीच बैठकें होने के विषय पर सत्तारूढ़ पार्टी बंटी हुई नजर आ रही है. ओली के भविष्य पर फैसला करने के लिये शुक्रवार को पार्टी की 45 सदस्यीय स्थायी समिति की बैठक होने वाली थी, लेकिन बाढ़ एवं भूस्खलन में कम से कम 22 लोगों की मौत को लेकर इसे आखिरी क्षणों में हफ्ते भर के लिये टाल दिया गया. इधर ओली की कुर्सी बचाने के लिये नेपाल में नियुक्त चीनी राजदूत होउ यानकुई की सक्रियता बढ़ने के बीच नेपाली पीएम के राजनीतिक भविष्य पर अब 17 जुलाई को स्थायी समिति की बैठक में फैसला होने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही नेपाल की संसद ने भारतीय क्षेत्र को अपना बताकर नया नक्शा जारी किया. नेपाल के उस कदम पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है. मालूम हो नेपाल कुछ दिनों से चीन की भाषा बोल रहा है और उसी की राह में भी चल रहा है. नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना बताकर नया नक्श जारी किया है, जबकि ये क्षेत्र भारत का अहम हिस्सा रहा है. इस बीच भारत के साथ बढ़ते विवाद के बीच नेपाल ने भारतीय न्यूज चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दिया था, लेकिन सोमवार को फिर से बहाल कर दिया गया. इस बीच एक और अहम खबर है कि भारत और नेपाल सीमा बंद कर दिया गया है, जिससे दोनों देशों के व्यापारी परेशान हैं.