Red Sea Crisis: भारतीय निर्यात में आ सकती है 30 अरब डॉलर की गिरावट, जानिए क्या है कारण
Red Sea Crisis: दिल्ली स्थित थिंक टैंकों ने लाल सागर में बढ़ते संकट को देखते हुए अनुमान लगाया है कि आने वाले समय में निर्यात में 6 से 7 फीसदी की गिरावट आ सकती है. गौरतलब है कि बीते साल भारत का कुल निर्यात करीब 451 बिलियन डॉलर था.
Red Sea Crisis: लाल सागर में हूती उग्रवादी संगठन की ओर से मालवाहक जहाजों पर हमला पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बना हुआ है. अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ-साथ भारत के लिए यह बड़ा खतरा बनता जा रहा है. जिस तरह से लाल सागर में संकट बना हुआ है उसे देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में भारत के निर्यात में करीब 30 बिलियन डॉलर की गिरावट आ सकती है. दरअसल, हमले के खतरे को देखते हुए निर्यातक शिपमेंट रोक रहे हैं.
निर्यात में आ सकती है और गिरावट
दिल्ली स्थित थिंक टैंकों ने लाल सागर में बढ़ते संकट को देखते हुए अनुमान लगाया है कि आने वाले समय में निर्यात में 6 से 7 फीसदी की गिरावट आ सकती है. गौरतलब है कि बीते साल भारत का कुल निर्यात करीब 451 बिलियन डॉलर था. वहीं, थिंक टैंक के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने इसपर कहा है कि लाल सागर में जारी संकट भारत के व्यापार को खासा प्रभावित करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में यही हालात रहे तो निर्यात में और कमी दिख सकती है.
बीते दिनों केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान उम्मीद जताई थी कि भू-राजनीतिक बाधाओं और मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के बावजूद देश साल 2030 तक दो लाख करोड़ डॉलर निर्यात का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल कर लेगा. गोयल ने चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए कहा था कि यूक्रेन-रूस युद्ध, इजराइल-हमास संघर्ष और लाल सागर में संकट की वजह से व्यापार पर असर पड़ रहा है. हालांकि उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि इन सभी चुनौतियों के बावजूद भारत का निर्यात बढ़ता रहेगा. वर्ष 2030 तक इसे मौजूदा 770 से 775 अरब डॉलर से बढ़ाकर दो लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य है.
निर्यात में आ रही है गिरावट
लेकिन मौजूदा हालात यह है कि निर्यात में गिरावट आ रही है. साथ ही आने वाले समय में इसमें और गिरावट देखने को मिल सकती है. क्लार्कसन रिसर्च सर्विसेज लिमिटेड की माने तो स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों की संख्या दिसंबर की पहली छमाही में औसत की तुलना में करीब 44 फीसदी कम है. यह आंकड़ा आने वाले समय के लिए खतरे का अलार्म है. बता दें, यमन के ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों ने हाल के समय में लाल सागर को अखाड़ा बना दिया है. यहां से गुजरने वाले जहाजों पर आतंकी मिसाइलों और ड्रोन हमला कर रहे हैं.
एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला मुख्य समुद्री मार्ग है स्वेज नहर
गौरतलब है कि स्वेज नहर मार्ग एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला अहम समुद्री मार्ग है. सऊदी अरब, मिस्र और सूडान के बीच स्थित लाल सागर स्वेज नहर का एंट्री पॉइंट है. सिर्फ इस रास्ते से करीब 12 फीसदी वैश्विक व्यापार होते हैं. साथ ही करीब एक-तिहाई वैश्विक कंटेनर के लिए इसी रूट का इस्तेमाल होता है. इसी रास्ते से हर साल 20 हजार से अधिक जहाज गुजरते हैं. वैश्विक तेल का 10 फीसदी व्यापार इसी रास्ते से होता है. अब हालात यह है कि हूती हमले के कारण शिपिंग कंपनियों को इस मार्ग से व्यापार रोकने और केप ऑफ गुड होप के माध्यम से 6000 समुद्री मील लंबा रास्ता अपनाना पड़ रहा है.
कौन हैं हूती आतंकी
हूती यमन स्थित विद्रोहियों का एक समूह है, जो शिया जैदी समुदाय से वास्ता रखते हैं. कथित रूप से इन्हें ईरान का पूरा समर्थन मिलता है. उनकी मुख्य मांग है कि इजराइल गाजा में हमले रोके और वहां मानवीय सहायता की आपूर्ति बहाल करे. अपनी मांग को लेकर उन्होंने ऐलान किया था कि वो इजराइली जहाजों पर निशाना साधेंगे. हालांकि हूतियों ने दूसरे देशों के कई जहाज जिनका इजराइल से कोई लेना-देना नहीं था उनपर भी ताबड़तोड़ हमले किये. इस लिस्ट में भारत आ रहे दो वाणिज्यिक जहाज भी शामिल हैं. इन पर ड्रोन से हमले किये गये.
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