Agneepath Scheme: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की मांग, अग्निपथ योजना वापस ले केंद्र

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में देशभर के युवाओं द्वारा अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की गई. साथ ही मंत्रिपरिषद ने युवाओं से संयम रखते हुए अपनी बात शांतिपूर्ण, अहिंसक एवं लोकतांत्रिक तरीके से रखने की अपील की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2022 10:07 PM
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राजस्थान मंत्रिपरिषद (Rajasthan Cabinet) ने शनिवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से अपील की कि वह सेनाओं में युवाओं की लघु अवधि के लिए संविदा भर्ती की अपनी अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) को जनहित और युवाओं की भावना को ध्यान में रखते हुए वापस ले. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास में हुई बैठक में देशभर के युवाओं द्वारा अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन पर चिंता जाहिर की गई. साथ ही मंत्रिपरिषद ने युवाओं से संयम रखते हुए अपनी बात शांतिपूर्ण, अहिंसक एवं लोकतांत्रिक तरीके से रखने की अपील की.

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अग्निपथ योजना पर मंत्रिपरिषद ने की चर्चा 

बैठक के बाद जारी बयान के अनुसार बैठक में चर्चा की गई कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बहादुर सेना है, जो अपने अदम्य साहस के लिए जानी जाती है. बयान के मुताबिक हमारी सेना का इतिहास गौरवशाली रहा है, जिस पर पूरे देश को गर्व है. बैठक में कहा गया कि भारतीय सेना का आत्मविश्वास और उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे, इसके लिए सेना में कुशलता, अनुभव एवं स्थायित्व होना आवश्यक है. सेना में दक्षता बढ़ाने के लिए जरूरी है कि अल्पकाल के स्थान पर स्थायी रूप से भर्तियां हों, ताकि उनके अनुभव का लाभ देश को मिल सके.

अग्नीपथ स्कीम का देशभर में विरोध

बैठक में चर्चा हुई कि सेना में भर्ती के लिए इस योजना में किए गए प्रावधानों को लेकर देशभर में भारी विरोध सामने आया है. इस योजना से युवाओं में भविष्य को लेकर कई आशंकाएं पैदा हो गई है. इसके चलते देश के विभिन्न इलाकों में युवा सड़क और पटरियों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. सार्वजनिक सम्पत्ति के साथ तोड़-फोड़ की घटनाएं हो रही हैं.

जानिए विशेषज्ञों ने क्या कहा

विशेषज्ञों का कहना है कि देश की सेना में नियमित भर्तियां हों, सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण मिलने के साथ ही उन्हें वे समस्त परिलाभ मिलें, जिससे उनका और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो सके. अतः राज्य सरकार का यह मानना है कि केन्द्र सरकार को ऎसी कोई भी योजना लाने से पहले सभी हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा करनी चाहिए थी.

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