चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन गुरुवार को सदन में केंद्र सरकार की ओर से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया है. इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार के फैसले को रद्द करने की बात कही गई है. हालांकि, इस मामले को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा भी हुआ. इस हंगामे में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रम सिंह मजीठिया आमने-सामने नजर आए. सिद्धू ने सदन में सवाल खड़ा किया कि सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए सुखबीर सिंह बादल क्यों नहीं आए?
गुरुवार को पंजाब विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद सूबे के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने 11 अक्टूबर 2021 के केंद्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसके जरिए पंजाब में सीमा सुरक्षा बल के अधिकारों को बढ़ाया गया है.
केंद्र के इस फैसले के पहले सीमा सुरक्षा बल के जवाब अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 15 किलोमीटर अंदर अपनी गतिविधियां जारी रख सकते थे, लेकिन केंद्र सरकार के नए फैसले से उनका दायरा बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया. केंद्र सरकार के इसी फैसले का शुरू से ही विरोध किया जा रहा है.
विधानसभा में सदन के सामने विरोध प्रस्ताव पेश करने के बाद अपने संबोधन में डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि पंजाब के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने का फैसला पंजाब और पंजाब पुलिस के लोगों के प्रति अविश्वास है. यह उनका भी अपमान है. केंद्र सरकार को इतना बड़ा फैसला लेने से पहले पंजाब सरकार से मशविरा करना चाहिए था. पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति मजबूत और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह भारतीय संविधान के संघीय ढांचे की भावना का उल्लंघन है.
Punjab Deputy CM Sukhjinder Singh Randhawa today during a special session of the Legislative Assembly moved a resolution rejecting the Central Government's decision on extending the jurisdiction of BSF from 15 km to 50 km in border States
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— ANI (@ANI) November 11, 2021
उन्होंने कहा कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करना केंद्र सरकार की संकीर्ण नीति को दर्शाता है. पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार की इस कार्रवाई की निंदा की और केंद्र सरकार से 11 अक्तूबर 2021 को गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को तुरंत वापस लेने की मांग की है.