लिंग आधारित भेदभाव को समाज से मिटाने की चाहत रखने वालों के लिए एक खुशखबरी है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के तहत काम करने वाले नेशनल कमीशन फॉर पापुलेशन ने यह संभावना जतायी है कि आज से 15 साल बाद यानी 2036 में देश में महिलाओं की संख्या में वृद्धि होगी.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में प्रति एक हजार पुरुष पर महिलाओं की संख्या 943 थी, जो वर्ष 2036 में बढ़कर 957 हो सकती है. यह संभावना महिलाओं के लिए एक खुशखबरी है और उनके बेहतर भविष्य की ओर भी इशारा करता है. जनसंख्या के बारे में अनुमान लगाने वाले इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2011 की अपेक्षा 2036 में देश में महिलाएं ज्यादा होंगी.
इस रिपोर्ट के अनुमान में यह कहा गया है कि 2036 में देश में प्रति एक हजार पुरुष पर 957 महिलाएं होंगी. यह अनुमान 18 राज्यों में लिंगानुपात बढ़ने को लेकर लगाया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे कम लिंगानुपात दिल्ली में 899 होगा, जबकि गुजरात में 900 और हरियाणा में 908 होगा.
देश में लिंगानुपात का बढ़ना इस बात का सूचक है कि समाज में लिंग आधारित भेदभाव घटा है. हमारे समाज में बेटों को बेटियों की अपेक्षा ज्यादा महत्व और मान मिलता है और उनके जन्म की कामना परिवार करता है.
गर्भ में ही मादा भ्रूण की हत्या और जन्म के बाद सामाजिक और आर्थिक आधार पर भी बेटियों के साथ भेदभाव होता है. यही कारण है कि सरकार ने बेटियों के महत्व को बताने के लिए कई सरकारी अभियान चलाये और मादा भ्रूण की हत्या को गैरकानूनी घोषित किया. ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान भी इसी क्रम में शामिल है.
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि देश में शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट आयेगी. 2010 में यह 40 था जो 2036 में घटकर 30 हो जायेगा. वहीं देश की जनसंख्या बढ़कर 151.8 करोड़ तक हो सकती है. 2011-2036 के बीच यह 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.
Posted By : Rajneesh Anand