अपराधियों के रेटिना से पैर तक के प्रिंट लिये जायेंगे, क्रिमिनल प्रोसीजर बिल लोकसभा में पेश
अगर ये बिल संसद से पास हो जाता है और कानून बन जाता है, तो यह दोषियों की पहचान से जुड़े मौजूदा कानून द आइडेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट 1920 को निरस्त कर देगा.
नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) ने सोमवार को लोकसभा में क्रिमिनल प्रोसीजर (आइडेंटिफिकेशन) बिल 2022 (Criminal Procedure (Identification) Bill 2022) पेश किया. इसका मकसद दोषियों, अपराधियों और हिरासत में लिये गये आरोपियों की पहचान से जुड़ा हर रिकॉर्ड रखना है.
क्या है क्रिमिनल प्रोसीजर (आइडेंटिफिकेशन) बिल
अगर ये बिल संसद से पास हो जाता है और कानून बन जाता है, तो यह दोषियों की पहचान से जुड़े मौजूदा कानून द आइडेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट 1920 को निरस्त कर देगा. क्रिमिनल प्रोसीजर (आइडेंटिफिकेशन) बिल हिरासत में लिये गये आरोपियों और दोषियों के सभी तरह के माप लेने की इजाजत देता है.
बिल में कौन-कौन से किये गये हैं प्रावधान
बिल के प्रावधानों के मुताबिक, हिरासत में लिये गये लोग, गिरफ्तार किये गये आरोपी और दोषी को पुलिस अधिकारी और जेल अधिकारी को अपनी पहचान से जुड़े सभी माप देना जरूरी होगा. बिल के कानून बनने के बाद आरोपियों और दोषियों के रेटिना, फोटो, फिंगर प्रिंट, हथेलियों के प्रिंट, फुटप्रिंट और बायोलॉजिकल सैंपल लिये जा सकेंगे.
हैंडराइटिंग और सिग्नेचर का भी रखा जायेगा रिकॉर्ड
फिजिकल और बायोलॉजिकल रिकॉर्ड के अलावा दोषियों और आरोपियों की हैंडराइटिंग और सिग्नेचर का रिकॉर्ड भी रखा जायेगा.
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Posted By: Mithilesh Jha