भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मो को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मिली फटकार के बाद संगठन समेत कई अधिकारियों ने इसकी निंदा की. दरअसर सुप्रीम कोर्ट में नूपुर शर्मा के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ सेवानिवृत न्यायाधीशों और नौकरशाहों द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र सीजेआई एनवी रमना को भेजा गया है. पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सेवानिवृत्त होने तक के रोस्टर को वापस लिया जाए और नूपुर शर्मा मामले की सुनवाई के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणियों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए.
An open letter has been sent to CJI NV Ramana, signed by 15 retired judges, 77 retd bureaucrats & 25 retd armed forces officers, against the observation made by Justices Surya Kant & JB Pardiwala while hearing Nupur Sharma's case in the Supreme Court. pic.twitter.com/ul5c5PedWU
— ANI (@ANI) July 5, 2022
फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस, जम्मू-कश्मीर, और लद्दाख एट जम्मू संगठन के खुले पत्र में न्यायमूर्ति सूर्यकांत के रोस्टर को तब तक वापस लेने की मांग की गई जब तक कि वह सेवानिवृत्त नहीं हो जाते और कम से कम उनके द्वारा की गई टिप्पणियों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए. इसमें 15 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, 77 सेवानिवृत्त नौकरशाहों और 25 सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित एक खुला पत्र सीजेआई एनवी रमना को भेजा गया है.
गौरतलब है कि नूपुर शर्मा के विवादित टिप्पणी के बाद देश के कई हिस्सों में मामला दर्ज किए गए हैं. नूपुर शर्मा एफआईआर को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच ने नूपुर शर्मा के बयान पर टिप्पणी की थी. वहीं, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी के लिए विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की शर्मा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
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नूपुर शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बेंच को सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच जस्टिस जेबी पारदीवाला ने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा था कि कोर्ट की आलोचना स्वीकार है, लेकिन जजों पर निजी हमले नहीं किए जाना चाहिए. वहीं पारदीवाला ने सोशल मीडिया विनियम पर जोर दिया था.