रेवंत रेड्डी बने तेलंगाना के सीएम, एबीवीपी से राजनीति शुरू करके कांग्रेस के गेंद को इस तरह पहुंचा गोल पोस्ट तक
रेवंत रेड्डी की बात करें तो उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की. जानें तेलंगाना में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए रेवंत रेड्डी ने किस तरह बहाया पसीना और बन गये मुख्यमंत्री.
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के रिजल्ट सामने आने के बाद प्रदेशों में मुख्यमंत्रियों के शपथ लेने का सिलसिला शुरू हो गया है. गुरुवार को रेवंत रेड्डी ने एलबी स्टेडियम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. शपथ समारोह कार्यक्रम में मंच पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, केसी वेणुगोपाल सहित अन्य नेता उपस्थित थे.
आपकों बता दें कि पांचों राज्यों में से केवल तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो सकी है. 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस ने 65 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि बीआरएस को केवल 39 सीटें मिली. सीएम पद की रेस में कई नाम थे हालांकि कांग्रेस ने मंथन के बाद रेवंत रेड्डी के नाम पर मुहर लगाई. तो आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं रेवंता रेड्डी जो कांग्रेस के भरोसे पर खरे उतरे…
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे था. तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख के रूप में रेवंत रेड्डी ने चुनाव में खूब पसीना बहाया. उनकी कार्यशैली के कारण पार्टी के भीतर उनके कई आलोचक रहे लेकिन उन्होंने दक्षिणी राज्य में बीआरएस को उखाड़ फेंकने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं की फौज को कुछ इस तरह तैयार किया कि बीआरएस को उखाड़ फेंकने में सफलता मिले.
कांग्रेस ने उन्हें चुनाव में मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के खिलाफ मैदान में उतारा, जो राज्य में उनके बढ़ते कद का संकेत है. जुलाई 2021 में तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति की गई थी. इसके बाद उन्होंने जमीनी स्तर पर कांग्रेस को खड़ा किया. सत्तारूढ़ बीआरएस सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर वह सड़क पर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते नजर आए थे.
रेवंत रेड्डी के बारे में जानें ये खास बात
-रेवंत रेड्डी की बात करें तो उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की.
-साल 2015 की करें तो इस वर्ष ‘नोट के बदले वोट’ मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त उन्हें तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू का ‘एजेंट’ करार दिया गया था.
-रेवंत रेड्डी पहले कुछ समय के लिए बीआरएस (उस वक्त तेलंगाना राष्ट्र समिति) में भी रह चुके हैं.
-रेवंत रेड्डी 2006 में जिला परिषद चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और जीत दर्ज की.
-रेवंत रेड्डी 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अविभाजित आंध्र प्रदेश में विधान परिषद में निर्वाचित होने वाले वे एक ऐसे नेता हैं जिनका कद प्रदेश में लगातार बढ़ता गया.
-रेवंत रेड्डी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) में शामिल हो गए थे और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के वे करीबी बताए जाते थे.
-रेवंत रेड्डी ने 2009 में टीडीपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी.
-2014 में तेलंगाना के अलग राज्य बनने पर भी उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की थी.
Also Read: कौन होगा तेलंगाना का सीएम ? रेवंत रेड्डी के अलावा दो और नाम रेस में-रेवंत रेड्डी 2018 के विधानसभा चुनाव में बीआरएस उम्मीदवार से हार गए थे.
-रेवंत रेड्डी ने टीडीपी छोड़कर 2017-18 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी और तेलंगाना में कांग्रेस को मजबूत करते चले गये.
-वे 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की मल्काजगिरि संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद के रूप में चुने गये.
-2021 में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी रेड्डी को सौंपी.
ये भी जानें : रेवंत रेड्डी का पसंदीदी खेल फुटबॉल है. उन्हें राहुल गांधी और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी शिवकुमार का करीबी माना जाता है. दो जून 2014 से तीन दिसंबर 2023 तक पद संभालने वाले केसीआर के बाद रेड्डी तेलंगाना के दूसरे मुख्यमंत्री बन गये हैं.