प्रवासी मजदूरों का ‘रिवर्स माइग्रेशन’ शुरू, यूपी-बिहार से दिल्ली-मुंबई जाने वाली ट्रेन में रिजर्वेशन फुल

reverse migration of migrant workers starts from up and bihar trains run full : प्रवासी मजदूरों की वापसी का सिलसिला बहुत तेजी से जारी है और इसका प्रमाण रेलवे की बुकिंग लिस्ट को देखने से मिलता है. जानकारी के अनुसार 26 जून से 30 जून तक यूपी-बिहार से बाहर जाने वाली सभी ट्रेन में रिजर्वेशन फुल है. वेटिंग लिस्ट लगातार लंबी हो रही है और इधर सरकार ने नये आदेश में एक जुलाई से 12 अगस्त तक ट्रेन के परिचालन पर रोक लगा दी है, हालांकि स्पेशल ट्रेन चलेगी.

By Rajneesh Anand | June 27, 2020 5:04 PM
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नयी दिल्ली : प्रवासी मजदूरों की वापसी का सिलसिला बहुत तेजी से जारी है और इसका प्रमाण रेलवे की बुकिंग लिस्ट को देखने से मिलता है. जानकारी के अनुसार 26 जून से 30 जून तक यूपी-बिहार से बाहर जाने वाली सभी ट्रेन में रिजर्वेशन फुल है. वेटिंग लिस्ट लगातार लंबी हो रही है और इधर सरकार ने नये आदेश में एक जुलाई से 12 अगस्त तक ट्रेन के परिचालन पर रोक लगा दी है, हालांकि स्पेशल ट्रेन चलेगी.

दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, सिकंदराबाद और अमृतसर जैसे शहरों में लोग वापस जा रहे हैं. ये वो शहर हैं, जहां से कोरोना महामारी के दौरान लगाये गये लॉकडाउन में मजदूरों ने वापसी की थी. प्रवासी मजदूरों की वापसी एक ओर जहां इकॉनोमी और उन कंपनियों के लिए अच्छी खबर है, जहां से वे लौटे थे, वहीं यह खबर इस बात को भी पुख्ता करती है कि कोविड 19 के संक्रमण को रोकने के लिए अभी बहुत प्रयास किया जाना बाकी है.

प्रवासी मजदूरों की वापसी का प्रमुख कारण यह है कि ये मजदूर अपने घरों में बहुत समय तक नहीं रख सकते, इसका कारण है उनके इलाके का पिछड़ापन. हालांकि श्रमिकों को रोजगार देने के लिए सरकार ने प्रयास किया है और कर रही है. उत्तर प्रदेश और बिहार में मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए सरकार ने योजनाएं शुरू की. झारखंड में भी सरकार श्रमिकों को रोजगार देने के लिए सर्वे करवा रही है. साथ ही जन वितरण प्रणाली के तहत उन्हें अनाज भी मुहैया कराया जा रहा है, बावजूद इसके मजदूर वापसी कर रहे हैं जो इकॉनोमी के लिए शुभ संकेत कर रहे हैं.

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गौरतलब है कि देश में 24 मार्च से संपूर्ण लॉकडाउन हुआ था, जिसके बाद कंपनियों और फैक्ट्रियों में काम बंद हो गया था और मजदूरों ने घरों का रुख किया था. काम बंद होने के बाद मजदूर पैदल ही अपने घर की ओर चल दिये थे, जिसके बाद कई दर्दनाक कहानियां भी सामने आयीं थीं. प्रवासी मजदूरों का मुद्दा इतना बड़ा हो गया कि उसपर राजनीति शुरू हो गयी और अंतत: सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलायी और बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश के मजदूरों की घर वा्पसी संभव हो पायी थी. पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन हैदराबाद से झारखंड के लिए चली थी.

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