RG Kar Hospital Case : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और मर्डर मामले में सियालदह कोर्ट फैसला सुनाएगा. इस घटना के बाद देश भर के डॉक्टरों और अन्य लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास द्वारा मुकदमा शुरू होने के 57 दिन बाद फैसला सुनाया जाएगा. बंद कमरे में सुनवाई 12 नवंबर को शुरू हुई थी. मामले में 50 गवाहों से पूछताछ की गई थी. सुनवाई 9 जनवरी को समाप्त हुई.
संजय रॉय को क्यों बनाया गया मुख्य आरोपी
संजय रॉय मामले में मुख्य आरोपी है. वह एक सिविल वॉलंटियर था जो सिटी पुलिस के साथ मिलकर काम करता था. कोलकाता पुलिस ने उसे डॉक्टर का शव मिलने के एक दिन बाद 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था. पीड़ित के शव के पास मिले ब्लूटूथ इयरफोन के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार किया था. सीसीटीवी कैमरे में फुटेज में ब्लूटूथ इयरफोन को गले में लटकाए सेमिनार हॉल में प्रवेश करते संजय रॉय नजर आया था.
आरजी कर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया था. अपराध के तुरंत बाद पुलिस और राज्य सरकार के रवैये पर कड़ी टिप्पणी कोर्ट ने की थी. केंद्रीय एजेंसी ने मुख्य आरोपी के लिए मौत की सजा की मांग की है. सीबीआई ने मामले में कार्रवाई की. एजेंसी ने सबूत नष्ट करने के कथित प्रयासों के लिए आरजी कार के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के अधिकारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया. घोष और मंडल को जमानत पर रिहा कर दिया गया, क्योंकि एजेंसी 90 दिनों से पहले उनके खिलाफ आरोपपत्र दर्ज करने में विफल रही.
डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन
डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए. इससे ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल उठे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय कानून की मांग की गई. विरोध प्रदर्शनों के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार और राज्य भर में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के बीच लंबे समय तक गतिरोध बना रहा.