नयी दिल्ली : भारत और जापान के अनुसंधानकर्ता स्मार्टफोन आधारित सड़क सुरक्षा ‘मैपिंग’ पर काम कर रहे हैं, ताकि दोनों देशों में क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सके. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की और तोक्यो विश्वविद्यालय की इस संयुक्त परियोजना का उद्देश्य सड़क की स्थिति पर निगरानी रखने की किफायती प्रणाली विकसित करना और सड़क पर सुरक्षा को बढ़ाना है.
यूरोप के लक्जमबर्ग के डेटा विज्ञानी एलेक्जेंडर मराज भी इसमें दल की सहायता कर रहे हैं. सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क की सतह की स्थिति पर निगरानी रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि सड़क पर गड्ढे, दरारें और ऊंच-नीच का पता लगाया जाये, जिससे ड्राइविंग में सहूलियत और सुरक्षा प्रभावित होती है.
अनुसंधान कर रहे वैज्ञानिकों में भारत की ओर से काम कर रहे दल का नेतृत्व करने वाली, आईआईटी रुड़की की प्रोफेसर दुर्गा तोशनीवाल ने कहा कि सड़क अवसंरचना दुनिया भर में लोगों और माल के परिवहन के लिए सामाजिक और आर्थिक महत्व की चीज है.
उन्होंने कहा, ‘सड़क की स्थिति का सड़क सुरक्षा से सीधा नाता है. सड़कों की नियमित रूप से मरम्मत की जानी चाहिए और समय-समय पर उसकी देखरेख होनी चाहिए. सड़क की स्थिति की समीक्षा के लिए पारंपरिक तरीकों में अधिक श्रम लगता है और इंसानों द्वारा सड़क की सतह की जांच की जाती है.’
उन्होंने कहा, ‘इन तरीकों से सड़कों के लंबे नेटवर्क की निगरानी सीमित समय में नहीं की जा सकती. इसके अलावा धन की कमी की वजह से भी स्थानीय प्रशासन समय पर जांच नहीं कर पाता.’ अनुसंधान कर रहे दल ने तोक्यो विश्वविद्यालय की सेकिमोटो प्रयोगशाला के साथ सहयोग कर ऐसे ‘एल्गोरिदम’ बनाये हैं, जिनसे स्मार्टफोन के जरिये सड़क को हुई क्षति का पता लगाया जा सकता है.
एजेंसी इनपुट के साथ
Posted By: Mithilesh Jha