‘विश्व को विनाश से बचाने के लिए भारत को हर हाल में बढ़ना होगा आगे’, बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को सोमवार को एक साहसी कार्य बताया, जो ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा से हुआ है.
महाराष्ट्र के पुणे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, भारतवर्ष को ऊपर उठना होगा क्योंकि दुनिया को इसकी जरूरत है. यदि किसी भी कारण से भारत समर्थ नहीं बना या खड़ा नहीं हुआ तो दुनिया को जल्द ही विनाश का सामना करना पड़ेगा. इस तरह की स्थिति बनी हुई है. दुनिया भर के बुद्धिजीवी इस बात को जानते हैं. वे इस पर कह और लिख रहे हैं. भागवत ने कहा कि भारत को अपना कर्तव्य निभाने के लिए खड़ा होना होगा. मोहन भागवत ने भारत शब्द का अर्थ बताया, भा रत है. यानी ज्ञान के प्रकाश में रत होने वाला भारत है. हमारे पास ज्ञान है. चतुर्वेद, पुराण, सर्वोपनिषद, महाभारत और गीता जैसे ग्रंथ हैं.
अविश्वास और उग्रवाद की दीवार को तोड़ने के करना होगा ये काम : मोहन भागवत
स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज की 75वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित 7 दिवसीय गीता भक्ति अमृत महोत्सव के उद्घाटन पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, अविश्वास और उग्रवाद की दीवार को तोड़ने के लिए हमें एक समान विचारधारा का निर्माण करना होगा. यही विश्व को फिर से समृद्ध बनाएगा. यह हमारा कर्तव्य है और हम इससे भाग नहीं सकते.
#WATCH | Pune, Maharashtra: At the inauguration of 7 days Geeta Bhakti Amrit Mahotsav organised to celebrate the 75th birth anniversary of Swami Govind Dev Giri Maharaj, RSS Chief Mohan Bhagwat says, "Ram Lalla came on January 22. Huge efforts were made, there was a constant… pic.twitter.com/Qy7W80e57r
— ANI (@ANI) February 5, 2024
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा एक साहसी कार्य, ईश्वर के आशीर्वाद से हुआ : भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को सोमवार को एक साहसी कार्य बताया, जो ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा से हुआ है. उन्होंने कहा, 22 जनवरी को रामलला का आगमन हुआ और यह काफी संघर्ष के बाद एक साहसी काम था. उन्होंने कहा, वर्तमान पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि उसने रामलला को उनके स्थान पर देखा है. यह वास्तव में हुआ, सिर्फ इसलिए नहीं हुआ कि सभी ने इसके लिए काम किया, बल्कि यह ईश्वर के आशीर्वाद और इच्छा के कारण हुआ.