कोरोना वायरस के प्रकोप ने पूरी दुनिया को अस्त-व्यस्त किया है, इसी दौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका भी बदली है और उसने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. संघ से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कोरोना काल में संघ की गतिविधियों की जानकारी मीडिया को दी.
संघ की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार जमीनी स्तर पर शाखा के आयोजन को रोक दिया गया है और संघ के सभी सदस्य राहत कार्य में जुड़ गये हैं. संघ ने मार्च में बंगलुरू में होने वाले अपने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का आयोजन भी रद्द किया और राहत कार्य में जुटे.
संघ ने यह जानकारी दी है कि राहत कार्य देशव्यापी चलाया जा रहा है. चूंकि संघ का नेटवर्क पूरे देश में फैला इसलिए इसके सदस्य पूरे देश में राहत कार्य में जुट चुके हैं. पिछले पांच महीनों में संघ ने 92 हजार राहत शिविर की स्थापना की है. 483 दवा वितरण केंद्र बनाये गये हैं. संघ से जुड़े 60 हजार लोगों ने रक्तदान किया है और 73.8 लाख राशन किट बांटे गये हैं.
स्वयंसेवकों ने कोविड 19 से मुक्ति के बाद प्लाजमा दान किया. ऐसा करने वाले उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बंगलुरू, गुवाहाटी और सूरत के स्वयंसेवक थे. बिहार में प्रवासी मजदूरों के लिए शेल्टर होम बनाया, बंगाल में फूड पैकेट का वितरण, कर्नाटक में मास्क और सैनेटाइजर का वितरण, केरल में बच्चों के वर्चुअल क्लास के लिए टीवी सेट का वितरण, ये ऐसे काम हैं जिसे संघ के सेवकों ने तहे दिल से किया. महाराष्ट्र में कई लोगों की अंतिम यात्रा का आयोजन भी संघ की ओर से किया गया.
संघ के सेवा विभाग के प्रमुख पराग अभ्यंकर ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ बातचीत में बताया कि लॉकडाउन के दौरान हमारे पांच लाख से अधिक वालंटियर ने 4.66 करोड़ फूड पैकेट बांटे. 44.86 प्रवासी मजदूरों की मदद की, इतना ही नहीं हम लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों को नौकरी तलाशने में भी मदद कर रहे हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी लॉकडाउन के दौरान कहा था कि हमारी सेवा भेदभाव रहित है और यह कोई एहसान नहीं हमारी जिम्मेदारी है.
Posted By : Rajneesh Anand