RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की वार्षिक बैठक शनिवार सुबह केरल के पलक्कड़ में शुरू हुई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी भाग ले रहे हैं. इस बैठक में आरएसएस के सभी सहयोगी संगठन भी हिस्सा ले रहे हैं. बैठक में राष्ट्रीय हित के विभिन्न मुद्दों, हाल की महत्वपूर्ण घटनाओं और सामाजिक बदलाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जायेगी. साथ ही यह बैठक उस समय शुरू हुई है, जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. आरएसएस और भाजपा के बीच कथित खटास भरे संबंधों को खत्म करना भी एक चुनौती है. लेकिन दोनों पक्ष संबंध सुधारने को लेकर सहमत है.
नड्डा के बयान से हैरान था संघ
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान दिया कि भाजपा इतनी बड़ी पार्टी है कि चुनावों के दौरान उसे आरएसएस पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है. इस बयान ने नागपुर स्थित संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को हैरान कर दिया था. आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक संघ चाहता है कि सरकार बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर हिंदुओं सहित अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव डाले. भारत बांग्लादेश में हो रही घटनाओं को यूं ही नहीं देख सकता. आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने भी एक बयान जारी कर बांग्लादेश के बारे में संगठन की चिंताओं को उठाया था. होसबोले ने अपने बयान में कहा था कि बांग्लादेश में हिंदुओं और बौद्धों सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.
बांग्लादेश को लेकर सरकार से सख्त कार्रवाई चाहता है संघ
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पूर्व राजनयिक राजीव सीकरी की ‘भारत की विदेश नीति को नया आकार देने वाली रणनीतिक उलझने’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि भारत को बांग्लादेश के साथ आपसी हितों का आधार तलाशना होगा. उससे हमारे रिश्ते उतार चढ़ाव वाले रहे हैं. हम मौजूदा सरकार के साथ बेहतर व्यवहार करेंगे, पर हमें यह भी मानना होगा कि जो राजनीतिक परिवर्तन हो रहे हैं, वह विध्वंसकारी भी हो सकते हैं. स्पष्ट रूप से हमें हितों के पारस्परिकता पर ध्यान देना होगा. विदेश मंत्री ने भारत के लिये नेबरहुड फर्स्ट की क्या सीमा है इसको भी स्पष्ट किया. सूत्रों के मुताबिक भारत कूटनीतिक रूप से बांग्लादेश में हिंसक घटनाओं पर करीब से नजर रख रहा है, लेकिन आरएसएस चाहता है कि भाजपा इस तरह से मूकदर्शक नहीं बनी रहे, बल्कि बांग्लादेश पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डलवाये, जिससे हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार बंद हो सके.
भाजपा के नये अध्यक्ष की नियुक्ति में संघ की पसंद को मिल सकती है तवज्जो
सूत्रों का कहना है कि भाजपा के नये अध्यक्ष के चुनाव में भी आरएसएस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. लोकसभा चुनाव में अपना हाथ जला चुकी भाजपा से संबंध सुधारने पर आरएसएस भी सहमत है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारी के रूप में राम माधव की नियुक्ति ने यह संकेत दिया है कि आरएसएस, भाजपा के मामलों में अपना वेट बढ़ा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि आरएसएस उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों में भी गहरी दिलचस्पी ले रहा है. आरएसएस की बैठक पलक्कड़ में हो रही है, जहां भाजपा ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में 24 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. आरएसएस केरल की राजनीति में अपना वैचारिक वजन बढ़ाने की इच्छुक है. कांग्रेस ने लगभग 40 प्रतिशत वोट हासिल करके पलक्कड़ लोकसभा सीट जीती थी. भाजपा ने सीपीआई (एम) की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया था. सीपीआई (एम) ने भाजपा के 24 प्रतिशत के मुकाबले लगभग 33 प्रतिशत वोट हासिल किये थे. आरएसएस केरल में राजनीतिक हिंसा को उजागर करके सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, जिसका लाभ भाजपा को मिला है.