RSS ने पीएम मोदी की ‘पंच-प्राण’ प्रतिज्ञा, आर्थिक नीति का समर्थन किया
RSS ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का समर्थन करते हुए कहा है कि पिछले स्वतंत्रता दिवस के भाषण में उन्होंने जो "पंच-प्राण" मंत्र दिया था. उससे देश को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त कराया जा सकता है
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) के दौरान पारित अपने प्रस्ताव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का समर्थन करते हुए कहा है कि पिछले स्वतंत्रता दिवस के भाषण में उन्होंने जो “पंच-प्राण” मंत्र दिया था. उससे देश को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त कराया जा सकता है.
राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए स्वदेशी भावना विकसित करना जरूरी-RSS
आरएसएस ने कहा कि एबीपीएस का मत है कि सुव्यवस्थित, गौरवशाली और समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में हमें समाज के सभी वर्गों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति, समग्र विकास के अवसर और नए निर्माण की चुनौतियों से पार पाने की जरूरत है. प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण उपयोग और पर्यावरण के अनुकूल विकास के माध्यम से आधुनिकता की भारतीय अवधारणा पर आधारित मॉडल. “राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए, हमें पारिवारिक संस्था को मजबूत करने, बंधुत्व आधारित सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने और स्वदेशी भावना के साथ उद्यमिता विकसित करने जैसे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है.
हिंदुत्व विचारधारा के खिलाफ रचा जा रहा षडयंत्र-RSS
आरएसएस की निर्णय लेने की शीर्ष संस्था ने सोमवार को कहा कि विश्व में कुछ ताकतें ‘‘भारतीय’’ पुनरुत्थान को स्वीकार नहीं कर रहीं, वे देश के भीतर एवं बाहर ‘‘हिंदुत्व विचार’’ का विरोध कर रही हैं और समाज में आपसी अविश्वास एवं अराजकता पैदा करने के लिए ‘‘नए षड्यंत्र’’ रच रही हैं. आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने कहा कि इस प्रकार की ताकतों के मंसूबों को विफल करने की आवश्यकता है
विभाजनकारी ताकतों से सतर्क रहें- RSS
एबीपीएस ने यहां अपनी बैठक में एक प्रस्ताव पारित करते हुए लोगों से विभाजनकारी ताकतों को लेकर सतर्क रहने का आग्रह किया. उसने कहा, ‘‘एबीपीएस इस तथ्य को रेखांकित करना चाहती है कि जहां कई देश भारत के लिए सम्मान और सद्भावना रखते हैं, वहीं दुनिया की कुछ ताकतें अपने ‘स्व’ या स्वार्थ के आधार पर इस भारतीय पुनरुत्थान को स्वीकार नहीं कर रही.’’ एबीपीएस ने कहा, ‘‘हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक ताकतें निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र के प्रति अविश्वास और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं. हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी विफल करना है.