कोरोना की तीसरी संभावित लहर को देखते हुए और उसकी तैयारियों को लेकर एक रोडमैप तैयार करने के लिए जून के पहली सप्ताह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय बैठक का आयोजन करेगा. इस दौरान उन संगठनों की भी जायजा लिया जाएगा कि वो कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए कितना तैयार हैं.
यह बैठक ऐसे समय में की जा रही है जब केंद्र की बीजेपी सरकार के सात साल पूरे हुए है और कोरोना से निपटने के केंद्र सरकार के प्रयासों की आलोचना हो रही है. बीजेपी आरएसएस की राजनैतिक इकाई है.
उल्लेखनीय है कि 2022 में देश भाजपा शासित राज्य गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कोरोना प्रबंधन में बीजेपी की आलोचना का असर चुनाव में पड़ सकता है. इसके प्रभाव को लेकर भी आरएसएस की बैठक में चर्चा की जाएगी.
हालांकि नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पदाधिकारी ने बताया कि यह एक नियमित बैठक है. क्योंकि शीर्ष नेतृत्व प्रत्येक महीने में कम से कम एक बार जरूर मिलते हैं और व्यक्तिगत रुप से बैठक करते हैं. हालांकि पिछली बैठकों को महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था. वहीं दूसरे पदाधिकारी ने कहा कि संघ के संगठनो को राहत कार्यों के लिए तैयारियों पर चर्चा करने के आलावा बैठक में बंगाल चुनाव के बाद हिंसा, देश की अर्थव्यवस्था रोजगार और कोरोना महामारी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा सकती है.
बैठक में बड़े पैमाने पर इस बात का जायजा लिया जाएगा की राहत और बचाव कार्यों के लिए संघ से क्या अपेक्षा की जाती है. इसके अलावा बंगाल चुनाव के बाद हिंसा पर इसलिए भी चर्चा होगी क्योंकि यह हिंसा लक्ष्य करके हुई थी जो चिंता का विषय है.
वहीं एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बैठक के जरिये संदेश देने की संभावना है कि आर्थिक पुनरुद्धार और सामाजिक कल्याण योजनाओं के दायरे को बढ़ाने के लिए क्या उम्मीदें हैं. गौरतलब है कि संघ खुद को चुनावी राजनीति से दूर रखता है. लेकिन सरकार के साथ अपनी बैठकों के जरिये वह सरकार को जमीनी भावनाओं से रूबरू भी कराता है. अटकलें हैं कि संघ यूपी चुनाव को लेकर भी चिंतित है इसके लिए आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी यूपी के बीजेपी नेताओं के साथ बैठक भी कर चुके हैं.
Posted By: Pawan Singh