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गुजरात चुनाव: दो बोरे में सिक्के भरकर नामांकन करने पहुंचा निर्दलीय प्रत्याशी, कहा- मेहनत कर जुटाए है पैसे

Gujarat Election 2022: गुजरात में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए एक शख्स जब अपना नामाकंन करने पहुंचा, तो उन्हें देखकर सभी हैरान रह गए. पाटनी चुनाव आयोग कार्यालय में नामांकन फीस जमा कराने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी बोरियों में सिक्के जमा करके लाए थे.

By Samir Kumar | November 19, 2022 5:47 PM

Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए 35 साल के मजदूर महेंद्रभाई पाटनी जब अपना नामाकंन करने पहुंचे, तो उन्हें देखकर सभी हैरान रह गए. दरअसल, गांधीनगर उत्तरी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन शुल्क जमा करने के लिए महेंद्रभाई पाटनी दो बोरियों में एक रुपये के सिक्के लेकर पहुंचे थे, जिसकी कुल कीमत 10 हजार रुपये थी. पाटनी चुनाव आयोग कार्यालय में नामांकन फीस जमा कराने के लिए वह बोरियों में सिक्के जमा करके लाए थे.

चंदा उन्हीं से लिया, जिन्होंने मुझे वोट देने का किया है वादा: महेंद्र पाटनी

महेंद्रभाई पाटनी गांधीनगर में रहते हैं, लेकिन वहां की हालत से नाखुश हैं. अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए महेंद्रभाई पाटनी ने ये रकम अपने समर्थकों से मांगकर इकट्ठा की हैं. निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे महेंद्र पाटनी पेशे से मजदूर रहे है. उन्होंने कहा कि मैं एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करता हूं. 521 झोपड़ियां थीं, जिन्हें एक बड़े होटल के लिए तोड़ दिया गया था. इससे कई बेरोजगार हो गए थे और अब इन्हें घर, पानी पीने और बिजली की कमी है. उन्होंने कहा कि ये पैसे मैंने मेहनत करके जुटाए हैं. मैंने केवल उन्हीं लोगों से चंदा लिया है, जिन्होंने वादा किया है कि वो मुझे वोट देंगे.

कौन है महेंद्र पाटनी?

जानकारी के मुताबिक, 3 साल पहले गांधीनगर में महात्मा मंदिर के पास एक झुग्गी में 521 झोपड़ियों को विस्थापित कर दिया गया था. महेंद्र पाटनी भी उसी झुग्गी के निवासी है. यहीं के निवासियों ने महेंद्रभाई पाटनी को अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ने को कहा है. पाटन जिले के रहने वाले महेंद्र वर्ष 1999 में गांधीनगर चले गए थे और शुरूआती दौर में वह स्लम में रहते थे. उन्होंने बताया कि उनका घर उन 521 झुग्गियों में से एक था, जिसे सरकार ने गिरा दिया था. जिसके बाद यहां फाइव स्टार होटल तैयार किया गया है और गांधीनगर रेलवे स्टेशन भी तैयार किया गया है.

सरकार से महेंद्रभाई पाटिल ने की ये मांग

निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे महेंद्रभाई पाटिल ने कहा कि चुनाव के नजदीक आते ही सरकार के कुछ प्रतिनिधि और राजनेता आते हैं और हमें आश्वासन देते हैं, लेकिन बाद में अपने वादे को भूल जाते हैं. यह सिलसिला 1990 के दशक से चल रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें उन लोगों का समर्थन मिल रहा है, जो चाहते हैं कि सरकार से कुछ ही मांगें पूरी की जाएं. महेंद्र पाटनी ने कहा कि अगर सरकार हमारी मांगों को पूरा करती है, तो मुझे चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार हमें रहने के लिए एक स्थायी स्थान प्रदान करे ताकि हमें एक और विस्थापन का सामना न करना पड़े. हम सरकार से नियमित उत्पीड़न के मुद्दे को हल करने की भी मांग करते हैं, जो दिहाड़ी मजदूरों को नागरिक अधिकारियों द्वारा अधीन किया जाता है. उन्होंने कहा कि स्लम निवासियों की बीपीएल सूची भी होनी चाहिए, ताकि ठेकेदारों द्वारा सरकारी कार्यालयों में काम करने वालों को स्थायी नौकरी के साथ-साथ उचित वेतन मिल सके और बिचौलियों को हटाया जा सके.

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