नयी दिल्ली : कोरोना वैक्सीन बनाने की दौड़ में रूस ने बाजी मार ली है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की कि उनके देश ने कोरोना वायरस के खिलाफ पहला टीका विकसित कर लिया है जो कोविड-19 से निपटने में बहुत प्रभावी ढंग से काम करता है और एक स्थायी रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करता है. हालांकि रूस के वैक्सीन पर अब भी दुनिया कई देशों को भरोसा नहीं है. कई वैज्ञानीक भी इसको लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं. इस बीच रूस का दावा है कि उसे कोरोना वैक्सीन को लेकर 20 देशों ने करीब एक अरब डोज का ऑर्डर दिया है.
वैक्सीन की घोषणा करने के साथ ही पुतिन ने खुलासा किया कि उनकी बेटियों में से एक को यह टीका पहले ही दिया जा चुका है. ‘स्पूतनिक न्यूज’ के अनुसार पुतिन ने यह दावा एक सरकारी बैठक में किया और कहा कि यह विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है. पुतिन ने कहा कि उनकी एक बेटी परीक्षण में शामिल हुई और उसे टीका दिया गया. उन्होंने कहा, पहले टीके के बाद उनकी बेटी के शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था, अगले दिन यह 37 डिग्री सेल्सियस से थोड़ा अधिक था. दूसरे टीके के बाद उसका तापमान कुछ बढ़ा और फिर सब ठीक हो गया. वह अच्छा महसूस कर रही है और एंटीबॉडी स्तर अधिक है.
पुतिन ने कहा, यह (टीका) बहुत प्रभावी तरीके से काम करता है और स्थायी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है. राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस के खिलाफ पहले टीके पर काम करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद व्यक्त किया और उम्मीद जताई कि रूस निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू करने में सक्षम होगा.
रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने कहा है कि कोरोना वायरस के खिलाफ पहले टीके का उत्पादन दो स्थानों – गमालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट और बिनोफार्म कंपनी में शुरू होगा. उन्होंने कहा कि कई देश पहले ही इस टीके को लेकर अपनी रुचि दिखा चुके हैं. रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) उत्पादन और विदेश में टीके के प्रचार-प्रसार में निवेश कर रही है.
टीके गमालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट और रूस के रक्षा मंत्रालय ने सुयंक्त रूप से विकसित किया है. इसका परीक्षण 18 जून को शुरू हुआ था जिसमें 38 स्वयंसेवी शामिल थे. इन सभी प्रतिभागियों में कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई. पहले समूह को 15 जुलाई और दूसरे समूह को 20 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.
कुछ दिनों पहले ही दुनिया भर के वैज्ञानिक ने चिं व्यक्त की थी कि कहीं अव्वल आने की यह दौड़ उलटी न साबित हो जाए. जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में वैश्विक जन स्वास्थ्य कानून विशेषज्ञ, लॉरेंस गोस्टिन ने कहा, मुझे चिंता है कि रूस बहुत जल्दबाजी कर रहा है जिससे कि टीका न सिर्फ अप्रभावी होगा बल्कि असुरक्षित भी. उन्होंने कहा, यह इस तरीके से काम नहीं करता है…सबसे पहले परीक्षण होने चाहिए. वह सबसे जरूरी है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra