S. Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तवांग झड़प से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना के लिए लोकसभा में कांग्रेस की आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर हम चीन के प्रति उदासीन थे, तो भारतीय सेना को सीमा पर किसने भेजा? अगर हम उदासीन थे, तो आज हम चीन पर डी-एस्केलेशन और डिसइंगेजमेंट के लिए दबाव क्यों बना रहे हैं? हम सार्वजनिक रूप से क्यों कह रहे हैं कि हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं?”
विदेश मंत्री ने लोकसभा में अपने संबोधन में कहा कि हमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने जवानों की आलोचना नहीं करनी चाहिए. हमारे सैनिक यांग्त्से में 13,000 फीट की ऊंचाई पर खड़े हैं और हमारी सीमा की रक्षा कर रहे हैं. उनका सम्मान और सराहना की जानी चाहिए. जानकारी हो कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा था कि बीजिंग युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है, न कि सिर्फ घुसपैठ के लिए, जबकि नई दिल्ली पड़ोसी से खतरे को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है.
साथ ही विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बार-बार श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से बात की है. अगर श्रीलंका में पकड़े गए मछुआरों को आज रिहा किया जाता है, तो इसलिए नहीं कि कोई चेन्नई में पत्र लिख रहा है, बल्कि इसलिए कि दिल्ली में कोई इस मामले को उठा रहा है. 2014 के बाद से श्रीलंका से रिहा किए गए भारतीय मछुआरों की संख्या 2,835 और मछुआरों की संख्या है. पीएम मोदी ने तमिल मछुआरों की समस्याओं पर ध्यान दिया है.
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साथ ही सेना के जवानों की कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि हमें राजनीतिक आलोचना से कोई समस्या नहीं है लेकिन हमें अपने जवानों का अपमान नहीं करना चाहिए. मैंने सुना है कि मेरी अपनी समझ को और गहरा करने की जरूरत है. जब मैं देखता हूं कि कौन सलाह दे रहा है तो मैं केवल झुक सकता हूं और सम्मान कर सकता हूं. हमारे जवानों के लिए ‘पिटाई’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने जवानों की आलोचना नहीं करनी चाहिए. हमारे जवान यांग्त्से में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर खड़े होकर हमारी सीमा की रखवाली कर रहे हैं. उनका सम्मान और सराहना की जानी चाहिए.