US Election पर विदेश मंत्री जयशंकर का बयान, परिणाम कोई भी हो, भारत-अमेरिका संबंध होंगे और मजबूत

US Election: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले 5 अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यकालों में भारत-अमेरिका संबंध स्थिर रहे हैं और अमेरिकी चुनाव परिणाम चाहे जो भी हो, ये संबंध और मजबूत होंगे.

By Aman Kumar Pandey | November 6, 2024 11:04 AM
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US Election: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार 5 नवंबर को कहा कि भारत ने पिछले 5 राष्ट्रपति कार्यकालों में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने संबंधों में “स्थिर प्रगति” देखी है. वर्तमान अमेरिकी चुनाव परिणाम के बावजूद अमेरिका के साथ उनके संबंध और मजबूत होने वाले हैं.  कैनबरा में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में, जयशंकर ने क्वाड के भविष्य के बारे में भी आशा व्यक्त की, जिसमें अमेरिका, भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. दोनों मंत्रियों से पूछा गया कि क्या रिपब्लिकन नेता और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने को लेकर कोई चिंता है और क्या उनके राष्ट्रपति पद के दौरान क्वाड प्रभावित होगा. 

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अमेरिकी चुनाव पर जयशंकर ने क्या कहा?

जयशंकर ने मीडिया से  बात करते हुए कहा, “हमने पिछले 5 राष्ट्रपति कार्यकालों में अमेरिका के साथ अपने संबंधों में हकीकत में स्थिर प्रगति देखी है, जिसमें पहले डोनाल्ट ट्रंप का राष्ट्रपति कार्यकाल भी शामिल है. इसलिए जब हम अमेरिकी चुनाव को देखते हैं, तो हमें पूरा विश्वास है कि जो भी फैसला हो, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हमारे संबंध और मजबूत होंगे.”

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उन्होंने कहा, “क्वाड के संदर्भ में, मैं आपको याद दिलाता हूं कि इसे 2017 में ट्रंप के राष्ट्रपति पद के दौरान पुनर्जीवित किया गया था. फिर इसे स्थायी सचिव के स्तर से मंत्री के स्तर पर स्थानांतरित कर दिया गया, वह भी ट्रंप के राष्ट्रपति पद के दौरान.” इसलिए मुझे लगता है कि इससे हमें क्वाड की संभावना के बारे में कुछ पता चलना चाहिए.” अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के लिए “क्वाड” या चतुर्भुज गठबंधन की स्थापना के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था. 4 सदस्यीय क्वाड या चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता, एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने की वकालत करती है. चीन का दावा है कि समूह का उद्देश्य उसके उदय को रोकना है. 

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