Russia-Ukraine War: ‘मतभेदों को दूर करने में भारत की बड़ी भूमिका’, विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान
मीडिया को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने जवाब में कहा कि 'कई देश हमसे बात करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का भरोसा है कि हम महत्वपूर्ण पक्षों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं, हम उन्हें प्रभावित कर सकते हैं. हम उन चीजों को कहने के लिए सक्षम हैं जिन चीजों को दुसरे नहीं कह सकते हैं.'
Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध का असर दुनियाभर पर पड़ा है. बढ़ती अस्थिरता को लेकर भारत के विदेश मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है. इस युद्ध में भारत की भूमिका पर अहम बात उन्होंने कही है. एक प्रेसवार्ता में सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत कई तरह से इस समय योगदान दे सकता है. साथ उन्होंने कहा कि इस विवाद में भारत का रोल स्थिर है और मतभेदों को दूर करने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है.
कई अहम पहलुओं पर अधिकारियों के साथ चर्चा
बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर इस वक्त अमेरिका से भारत वापस लौट रहे है. इससे ठीक पहले एक प्रेस वार्ता को उन्होंने संबोधित किया. सूत्रों की मानें तो विदेश मंत्री ने अमेरिका दौरे पर रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के अलावा कई और अहम पहलुओं पर अधिकारियों के साथ चर्चा की है. मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत कई तरह से योगदान कर सकता है. हम कूटनीतिक रोल में हैं और हमें आर्थिक पहलू पर गौर करने की जरूरत है.
‘कई देशों को हमपर भरोसा है’
इसके बाद मीडिया को उन्होंने अपने जवाब में कहा कि ‘कई देश हमसे बात करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का भरोसा है कि हम महत्वपूर्ण पक्षों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं, हम उन्हें प्रभावित कर सकते हैं. हम उन चीजों को कहने के लिए सक्षम हैं जिन चीजों को दुसरे नहीं कह सकते हैं.’ दूसरे देशों से संबंध पर उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि हम उन तरीकों से देशों के साथ संपर्क बनाते हैं जो हर किसी के लिए संभव नहीं हैं.
बढ़ती तेल की कीमतों पर जतायी चिंता
इस प्रेसवार्ता से पहले बीते बुधवार को जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष एंटोनी ब्लिंकन से भी मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद जयशंकर ने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से भारत चिंतित है. इसपर जल्द फैसला लिया जाए. भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि यह युद्ध के हित में नहीं है. इसका सिर्फ एक हल है और वह है बातचीत और कूटनीति.