Sahara India Refund : 7 लाख ब्याज के साथ लौटाए सहारा इंडिया, दिया गया ये आदेश

Sahara India Refund : हैदराबाद के एक जिला उपभोक्ता फोरम ने सहारा इंडिया लिमिटेड को 7 लाख ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है. जानें पूरा मामला

By Amitabh Kumar | October 19, 2024 9:54 AM

Sahara India Refund : हैदराबाद के एक जिला उपभोक्ता फोरम ने सहारा इंडिया लिमिटेड को एक वरिष्ठ नागरिक को 9% वार्षिक ब्याज के साथ मैच्योरिटी पर 7 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है. फोरम का यह फैसला तब आया जब फर्म ने शिकायतकर्ता द्वारा आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद मैच्योरिटी के बाद सावधि जमा राशि जारी करने में विफल रही. शिकायतकर्ता राज कुमारी तिवारी ने कहा कि उन्होंने जून 2012 में सहारा इंडिया लिमिटेड के साथ 15 डिपोजिट किए थे, जिनमें से प्रत्येक की मैच्योरिटी राशि आठ साल बाद 47,016 थी.

सहारा इंडिया के दफ्तर दौड़-दौड़कर परेशानी थी महिला

राज कुमारी तिवारी ने कहा कि जून 2020 के बाद, उसने कई बार फर्म से संपर्क किया और राशि जारी करने का अनुरोध किया. उसने आरोप लगाया कि फर्म के कर्मचारियों ने उसके अनुरोधों की उपेक्षा की, साथ ही कई अनुरोधों के बावजूद राशि जारी करने में वे विफल रहे. उसके द्वारा 15 नवंबर, 2022 को आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई गई, जिसमें फर्म की ओर से सेवा में कमी का आरोप लगाया गया और पैसों की वापसी और मुआवजे की मांग की गई.

10,000 का शुरुआती रिफंड मिला महिला को

शिकायतकर्ता ने कहा कि उसने फोरम के सुझाव पर विचार किया. इस साल अप्रैल में सहारा ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने की कोशिश की. उसे 10,000 का शुरुआती रिफंड भी मिला. हालांकि, उसने कहा कि जब दावा राशि 50,000 से अधिक होती है, तो जमाकर्ताओं को अपने दावे के अनुरोध के साथ विभिन्न दस्तावेज – सदस्यता संख्या, जमा खाता संख्या, आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर, जमा प्रमाणपत्र या पासबुक और पैन कार्ड जमा करना अनिवार्य होता है.

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उसने बताया कि दस्तावेज जमा करने के करीब एक महीने बाद उन्हें सूचना दी गई कि उनके नाम में कुछ गड़बड़ी है और उन्हें हलफनामा जमा करना होगा. जब उन्होंने दावा दोबारा जमा करने की कोशिश की तो कहा गया कि वह ऐसा नहीं कर सकतीं. ऐसा इसलिए क्योंकि पोर्टल केवल 5 लाख या उससे कम की दावा राशि के लिए ही आवेदन स्वीकार कर रहा है.

7,05,240 का भुगतान करने का निर्देश

सुनवाई के दौरान, पीठ ने पाया कि आयोग से नोटिस प्राप्त करने के बावजूद, फर्म न तो आयोग के समक्ष उपस्थित हुई और न ही लिखित बयान दाखिल किया. इसलिए उसे एकपक्षीय करार दिया गया. पीठ ने कहा कि हम मानते हैं कि विपक्षी पक्ष की ओर से की गई निष्क्रियता लापरवाही और अनुचित व्यापार व्यवहार के बराबर है. पीठ ने उन्हें 20 जून, 2020 से भुगतान की तारीख तक 9% प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 7,05,240 का भुगतान करने का निर्देश दिया.

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