नयी दिल्ली : दिल्ली की साकेत जिला अदालत के बार संघ ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद उन मामलों को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया है, जिनमें आरोपियों को न्यायिक हिरासत में रखा गया है. साथ ही उसने ऐसे आपराधिक मामलों की सुनवाई तीन महीने के लिये टालने की बात कही है, जिनमें अपराधी जमानत पर बाहर हैं.
बार संघ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार जिला न्यायाधीश पूनम ए बंबा को लिखे गए पत्र में सुझाव दिए गए है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने लॉकडाउन के बाद अपने और जिला अदालतों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने की ‘चरणबद्ध कार्य योजना’ बनाने के लिये न्यायमूर्ति हिमा कोहली के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है.
उच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीशों को संबंधित बार संघों से जानकारी एकत्रित कर इस संबंध मे समिति को सुझाव भेजने के लिये कहा है. साकेत जिला अदालत के बार संघ के अध्यक्ष एकवोकेट करनैल सिंह ने जिला न्यायाधीश को लिखे पत्र में उन सिविल मामलों को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है जिनमें कुछ जरूरी आवेदन लंबित हैं या साक्ष्य दर्ज किए जाने हैं.
बार संघ के सचिव एडवोकेट धीर सिंह कसाना ने पत्र में कहा कि मौजूदा स्वास्थ्य संकट में पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए ताकि एक दूसरे की सुरक्षा को प्रभावित किए बिना काम शुरू किया जा सके. एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि डीसीपी ट्रैफिक को कुछ समय के लिए ट्रैफिक चालान के मामले अदालत में नहीं भेजने चाहिये ताकि भीड़ को कम किया जा सके.
पत्र में सुझाव किया गया है, ”ऐसे आपराधिक मामलों की सुनवाई तीन से चार महीने के लिये टाल दी जाए, जिसमें अभियुक्त जमानत पर है. केवल उन्हीं मामलों को प्राथमिकता दें जिनमें अभियुक्त न्यायिक हिरासत में है. उन दिवानी मामलों को प्राथमिकता दें जिनमें कुछ जरूरी आवेदन लंबित हैं या सबूत दर्ज किए जाने हैं.
अदालत को उन मामलों की सुनवाई टाल देनी चाहिये जिनमें दोनों पक्ष स्थगन की अपील कर रहे हों. उन्हें कोई और तारीख दी जाए, जिससे भीड़ कम की जा सके.