Samna Editorial : राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल, शरद पवार को UPA की कमान सौंपने की वकालत, शिवसेना ने किया यूं हमला

Samna Editorial Latest National Politics News Update शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए शनिवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) और उसके सहयोगियों पर जमकर बोला गया है. संपादकीय के जरिए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये गये हैं. इसके साथ ही परोक्ष रुप से यूपीए का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की वकालत की गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2020 11:57 AM
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Samna Editorial Latest National Politics News Update शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए शनिवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) और उसके सहयोगियों पर जमकर बोला गया है. संपादकीय के जरिए कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाये गये हैं. इसके साथ ही परोक्ष रुप से यूपीए का नेतृत्व शरद पवार को सौंपने की वकालत की गयी है.

देश का विपक्ष कमजोर

सामना में किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी दलों के एकजुट न होने को लेकर भी उनकी आलोचना की गयी. संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि अगर किसान आंदोलन के तीस दिनों के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया है तो सरकार यह सोचती है कि उसे कोई राजनीतिक खतरा नहीं है. किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष अहम किरदार अदा करता है. लेकिन, कांग्रेस और यूपीए मोदी सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम रहे. केंद्र में मौजूदा विपक्ष बेजान हो चुका है.

यूपीए फिलहाल एनजीओ की तरह

सामना में सीधे-सीधे कांग्रेस का नाम लिए बिना लिखा गया है, पार्टी के नेतृत्व में यूपीए नाम का एक राजनीतिक संगठन है. इस यूपीए की अवस्था फिलहाल एक NGO की तरह नजर आती है. यूपीए में शामिल NCP के अलावा दूसरी पार्टियां किसानों के इस मुद्दे पर आक्रमक होती नहीं दिखाई दे रही है.

शिवसेना के निशाने पर कांग्रेस

शिवसेना ने सामना में लिखा है कि राष्ट्रीय स्तर पर शरद पवार का व्यक्तित्व बिल्कुल अलग है और उनके राजनीतिक अनुभव का फायदा प्रधानमंत्री से लेकर अन्य पार्टियां लेती हैं. केंद्र सत्ता के माध्यम से ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) को तोड़ने की कोशिश कर रही है. ऐसे वक्त में सभी विपक्षी दलों को चाहिए कि वे ममता को अपना समर्थन दें. लेकिन, मुसीबत की इस घड़ी में ममता लगातार शरद पवार से संपर्क हैं. ऐसी स्थिति में कांग्रेस को आगे आने की जरूरत थी. लेकिन, कांग्रेस की स्थिति इतनी विकराल हो गयी है कि पार्टी के पास पूर्णकालिक अध्यक्ष तक नहीं है.

कांग्रेस के भविष्य पर सवाल

सामना के संपादकीय में कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के चुनाव पर भी सवाल खड़ा किया गया है. कहा गया है कि सोनिया गांधी कांग्रेस और यूपीए दोनों की अध्यक्ष हैं. अभी तक उन्होंने यूपीए अध्यक्ष की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला है. लेकिन, उनकी मदद के लिए मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल हुआ करते थे, जो अब नहीं हैं. कांग्रेस के अगले अध्यक्ष और यूपीए के भविष्य को लेकर भ्रम बरकरार है.

राहुल में कहीं ना कहीं कुछ कमी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि वे व्यक्तिगत तौर पर केंद्र सरकार को घेरने का काम कर रहे. लेकिन, उनमें कहीं ना कहीं कुछ कमी है. टीएमसी, शिवसेना, अकाली दल, बीएसपी, जगन मोहन रेड्डी, नवीन पटनायक कृषि कानूनों को लेकर भाजपा का विरोध कर रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में ये लोग शामिल नहीं हैं.

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