Sansad: भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और विरासत से प्रेरणा लेने की जरूरत
‘पंचायत से संसद 2.0’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा जैसे महापुरुषों के बलिदान से प्रेरणा लेना चाहिए, जो समानता और संघर्ष के प्रतीक रहे हैं.
Sansad: भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में महिला नेतृत्व की भूमिका अहम है. महिलाओं का समावेशन और सशक्तिकरण, खास तौर से ग्रामीण और जनजातीय समुदायों की महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक तौर पर सशक्त होना जरूरी है. लैंगिक समानता को बढ़ावा देने नारी शक्ति वंदन अधिनियम महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने में अहम रोल अदा करेगा. संविधान सदन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आयोजित ‘पंचायत से संसद 2.0’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात कही. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय महिला आयोग और जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से लोक सभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा आयोजित किया गया.
शासन में महिलाओं की भागीदारी की समृद्ध विरासत
उन्होंने कहा कि झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और आदिवासी नेता भगवान बिरसा मुंडा जैसे महापुरुषों के बलिदान से प्रेरणा लेना चाहिए, जो समानता और संघर्ष के प्रतीक रहे हैं. भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष वनों और भूमि के संरक्षण के साथ साथ जनजातीय समुदायों की गरिमा और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए भी था. भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और विरासत से प्रेरणा लेना चाहिए. लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत में शासन में महिलाओं की भागीदारी की समृद्ध विरासत है, जो दुनिया को प्रेरित करती रहती है.
बिरला ने कहा कि पंचायतों में जमीनी स्तर से लेकर संसद में राष्ट्रीय क्षेत्र तक महिलाओं का नेतृत्व परिवर्तन लाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और समावेशी विकास मॉडल बनाने में सहायक रहा है. पंचायती राज संस्थाओं में कई राज्यों ने महिलाओं के लिए अनिवार्य 33 फीसदी आरक्षण को पार कर लिया है, कुछ मामलों में यह 50 फीसदी से भी अधिक हो गया है. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का यह उपाय प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि टिकाऊ और समावेशी शासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
पंचायत स्तर पर हो नयी तकनीक का उपयोग
लोकसभा अध्यक्ष ने 2025 को महिला सशक्तिकरण के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष बनाने का आग्रह किया. महिलाओं को सिर्फ नीति निर्माण तक सीमित नहीं रहने की बजाय नेतृत्व करने का मौका देने पर जोर दिया. महिलाएं आत्मनिर्भर बनें, सामाजिक रूप से न्यायसंगत, आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र का नेतृत्व करें और अपने सपनों को देश की नियति में बदलें. महिला प्रतिनिधियों से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और ग्रामीण आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करने का आग्रह किया. उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्रों को अधिक जनोन्मुखी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग और नवाचार को अपनाने का भी आग्रह किया.
इस मौके पर बिरला ने संसद भाषिणी के माध्यम से महिलाओं से बातचीत की जो एक एआई उपकरण है, जिसका उपयोग भाषणों को 6 भारतीय भाषाओं – गुजराती, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु और मलयालम में अनुवाद करने के लिए किया जाता है.
आदिवासी महिला प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
इस कार्यक्रम में 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) की 500 से अधिक आदिवासी महिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता और शिक्षा जैसे ग्रामीण मुद्दों को संभालने में महिला नेतृत्व की सराहना करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आदिवासी महिलाएं पारंपरिक शिल्प, ऑनलाइन व्यवसायों और स्थानीय उत्पादन में पहल के माध्यम से आत्मनिर्भर गांवों का निर्माण कर रही हैं. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.
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