देश में संस्कृत का बढ़ रहा है प्रभाव, राज्यसभा में बनी पांचवीं पसंदीदा भाषा
सदन में 2019-20 के दौरान हिंदी, उर्दू, तेलगु और तमिल के बाद संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया. इस दौरान 19 सदस्यों ने संस्कृत में अपनी बात रखी है. साफ शब्दों में कहा जाये, तो राज्यसभा में संस्कृत भाषा 5वीं पसंदीदा भाषा के रूप में उभरी है.
संसद की कार्यवाही में हिंदी और अंग्रेजी सांसदों की पसंदीदा भाषा होती है, लेकिन सूचीबद्ध 22 क्षेत्रीय भाषाओं में भी बोलने की अनुमति है. अब इसका असर भी दिख रहा है. राज्यसभा में इन 22 क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग 2004-17 के मुकाबले 2020 में पांच गुना यानि 512 फीसदी अधिक बढ़ा है. सदन में 2019-20 के दौरान हिंदी, उर्दू, तेलगु और तमिल के बाद संस्कृत भाषा का प्रयोग किया गया. इस दौरान 19 सदस्यों ने संस्कृत में अपनी बात रखी है. साफ शब्दों में कहा जाये, तो राज्यसभा में संस्कृत भाषा 5वीं पसंदीदा भाषा के रूप में उभरी है.
राज्यसभा सचिवालय के आंकड़े के अनुसार, 1952 में राज्यसभा के गठन के बाद 2018-20 के दौरान कोंकणी, डोगरी, कश्मीरी और संताली भाषा का प्रयोग पहली बार किया गया. वहीं असमिया, बोडो, गुजराती, मैथिली, मणिपुरी और नेपाली भाषा का प्रयोग काफी अंतराल के बाद किया गया है. आंकड़े के अनुसार, 2004-17 के दौरान राज्यसभा की 923 बैठकों में 269 मौके पर सदस्यों ने हिंदी के अलावा 10 अन्य क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग किया , जबकि 2020 में राज्यसभा की 33 बैठकों में 49 बार क्षेत्रीय भाषा में हस्तक्षेप किया गया.
2013-17 के दौरान 96 मौके पर 10 क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग सदस्यों ने किया, लेकिन यह सिर्फ बहस तक सीमित रहा. हालांकि, 2018-20 के दौरान 163 बैठकों में 135 बार क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग हुआ, जिसमें 66 बार बहस में हस्तक्षेप, 62 बार शून्यकाल और 7 बार विशेष प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रयोग हुआ.
नायडू की पहल से बढ़ा क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग
अगस्त, 2017 में राज्यसभा के सभापति का पदभार ग्रहण करने के बाद एम वेंकैया नायडू ने सदन के सदस्यों को अपनी मातृभाषा में अपने विचार रखने के लिए प्रस्ताव पारित किया. इसके बाद से राज्यसभा में क्षेत्रीय भाषा में सदस्यों ने अपने विचार रखने शुरू किये. 2018 से 2020 के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग कई गुना बढ़ गया.
क्षेत्रीय भाषाओं का इस क्रम में हुआ प्रयोग
सदन की कार्यवाही के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग 2013 से 2017 तक 329 बैठकों में और 2018 से 2020 के दौरान 163 बैठकों में किया गया. संस्कृत की बात करें, तो 2019 से 2020 के दौरान 12 हस्तक्षेप इस भाषा में किये गये. इसके बाद हिंदी, तेलुगू, उर्दू और तमिल के बाद आनेवाली 22 अनुसूचित भाषाओं में से संस्कृत पांचवी व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के रूप में उभरी है.