सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए दायर याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया है. जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिना किसी देरी के विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दिया है, SC का कहना है कि अनुच्छेद 370 से संबंधित मामला 11 जुलाई को सूचीबद्ध है और वे इसके बाद ही इस याचिका पर सुनवाई करेंगे.
Supreme Court adjourns hearing on plea seeking directions to the Election Commission to hold elections to the legislative assembly of Union Territory of Jammu and Kashmir without any further delay. SC says that the matter relating to Article 370 is listed on July 11 and they will… pic.twitter.com/FDjqGH1CLX
— ANI (@ANI) July 6, 2023
आपको बताएं कि, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ 11 जुलाई को दो दर्जन से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे, जिसमें जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की कानूनी वैधता को चुनौती देने की मांग की गई है, जिसने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था और 5 अगस्त 2019 के राष्ट्रपति के आदेश ने संविधान के अनुच्छेद 370 (जिसने तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा दिया) को रद्द कर दिया था.
भारतीय सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए साल 2019 को देश से विवादित अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया था। जिसकी शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह से हुई थी। अक्टूबर 1947 में, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा.
बाताएं कि , जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व 13 दलों के नेताओं ने 16 मार्च को दिल्ली में चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था. आयोग को ज्ञापन भी सौंपा गया था जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, शरद पवार, सीताराम येचुरी व अन्य ने दस्तखत किए थे. गुलाम नबी आजाद की पार्टी को छोड़ जम्मू कश्मीर के लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग से मिले थे. पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं थीं, बल्कि उन्होंने पार्टी महासचिव अमरीक सिंह रीन को भेजा था. आयोग से मिलने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बाबत कोई फैसला लिया जा सकता है
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