नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है. देश के सर्वोच्च अदालत ने वर्ष 2013 में ‘हाथ से मैला उठाने की प्रथा’ पर रोक लगाने वाले कानून के क्रियान्वयन को अमलीजामा पहनाने को लेकर केंद्र सरकार से राज्यवार ब्योरा मांगा है. समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को ‘हाथ से मैला उठाने’ पर रोक लगाने वाले 2013 के एक कानून के क्रियान्वयन की स्थिति और उन कदमों से भी अवगत कराने को कहा है, जो इस कार्य जुड़े लोगों के पुनर्वास के लिए उठाए गए हैं.
सर्वोच्च अदालत ने शुष्क शौचालय के उन्मूलन की दिशा में उठाए गए कदमों, शुष्क शौचालयों की स्थिति और छावनी बोर्ड तथा रेलवे में सफाई कर्मचारियों के बारे में राज्यवार ब्योरा मांगा है. जस्टिस एसआर भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है. याचिका में हाथ से मैला उठाने वालों की नियुक्ति और शुष्क शौचालय (प्रतिषेध) अधिनियम, 1993 तथा हाथ से मैला उठाने वाले के तौर पर नियुक्ति का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को लागू करने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है.
सर्वोच्च अदालत ने 22 फरवरी को जारी अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने में पहले ही यह सब्जेक्ट आया था और तब से लेकर अब तक अदालत ने कई निर्देश जारी किए थे. अदालत ने कि प्रतिवादी(केंद्र) कहा कि वह इस अदालत के फैसलों के अनुपालन में उठाए गए कदमों, ‘हाथ से मैला उठाने वाले’ की परिभाषा के दायरे में आने वाले इस तरह के लोगों के पुनर्वास सहित 2013 के अधिनियम के क्रियान्वयन के सिलसिले में उठाए गए कदमों से अवगत कराए. अदालत ने ‘सीवेज’ की सफाई मशीन की सहायता से करने के लिए नगर निकायों द्वारा उपयोग किए जा रहे उपकरणों का राज्यवार ब्योरा मांगा है.
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बेंच ने ‘सीवेज’ में उतरने से होने वाली मौतों के सही वक्त पर पता लगाने के लिए इंटरनेट आधाारित समाधान विकसित करने की व्यवहार्यता के बारे में भी ब्योरा मांगा है. साथ ही, मृतकों के परिवारों को मुआवजे की भुगतान एवं पुनर्वास के लिए संबद्ध प्राधिकारों द्वारा उठाये गये कदमों से भी अवगत कराने को कहा है. अदालत ने कहा कि भारत सरकार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के जरिये एक हलफनामा दाखिल करे. केंद्रीय सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को इन पहलुओं पर विचार करने और एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है. इन निर्देशों का छह हफ्तों के अंदर अनुपालन किया जाए. बेचं ने सब्जेक्ट में अदालत की मदद करने के लिए अधिवक्ता के. परमेश्वर को न्याय मित्र भी नियुक्त किया है और सुनवाई की अगली तारीख 12 अप्रैल निर्धारित की है.