Bullet Train Project: भूमि अधिग्रहण के लिए अधिक मुआवजे वाली Godrej की याचिका पर SC ने विचार करने से किया इनकार
Supreme Court ने शुक्रवार को गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्च रिंग कंपनी लिमिटेड की मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उसकी 9.69 एकड़ जमीन के लिए अधिक मुआवजे की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
Supreme Court ने शुक्रवार को गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्च रिंग कंपनी लिमिटेड की मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए उसकी 9.69 एकड़ जमीन के लिए अधिक मुआवजे की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है.
SC ने याचिका पर विचार करने से किया इनकार
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्च रिंग कंपनी लिमिटेड का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि अदालत याचिका पर विचार करने को तैयार नहीं . कोर्ट ने कहा पीठ ने कहा, काफी पानी बह चुका है, जमीन पर कब्जा कर लिया गया है और निर्माण शुरू हो चुका है. वहीं मुकुल रोहतगी ने बार-बार आदेश की वैधता पर सवाल उठाया. पीठ ने जवाब दिया कि वह कंपनी की याचिका पर विचार नहीं करेगी.
SC ने कहा यह एक राष्ट्रीय परियोजना
दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि मुआवजे में वृद्धि के लिए कोई आवेदन दायर किया जाता है, तो उस पर छह सप्ताह के भीतर फैसला किया जाना चाहिए. पीठ ने रोहतगी से आगे कहा, यह केवल पैसे का सवाल है. यह एक राष्ट्रीय परियोजना है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कंपनी को मुआवजा बढ़ाने के लिए कानूनी सहारा लेने की भी छूट दी.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज की थी Godrej की याचिका
कंपनी की याचिका ने इस महीने की शुरुआत में पारित बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले की वैधता को चुनौती दी थी, जिसमें गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्च रिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा भूमि के मुआवजे के रूप में 264 करोड़ रुपये के अनुदान को चुनौती दी गई थी.
कंपनी ने 264 करोड़ रुपये के मुआवजे को चुनौती दी थी
गोदरेज समूह ने 39,252 वर्ग मीटर (9.69 एकड़) के अधिग्रहण के लिए 15 सितंबर, 2022 को डिप्टी कलेक्टर द्वारा 264 करोड़ रुपये के पुरस्कार और मुआवजे को चुनौती दी थी. कंपनी ने कहा कि शुरुआत में 572 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी और कानून के प्रावधानों को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की.