Loading election data...

SC ने कहा, चुनावों में पार्टियों का फ्री में गिफ्ट बांटना गंभीर मुद्दा, बुनियादी ढांचें पर खर्च हो पैसा

चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में उपहार देने के मामले पर चुनाव आयोग से भी जवाब-तलब किया है. अदालत ने चुनाव आयोग से पूछा कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले अपना घोषणा पत्र आपको देती हैं या नहीं?

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 11, 2022 1:33 PM

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावों में राजनीतिक पार्टियों द्वारा फ्री में गिफ्ट दिए जाने के मामले को गंभीर मुद्दा करार दिया है. इस मसले पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने टिप्पणी की है कि चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देना और बांटना ‘गंभीर मुद्दा’ है. अदालत ने कहा कि जनता का पैसा बुनियादी ढांचों के विकास पर खर्च होना चाहिए. इसके साथ ही अदालत में आम आदमी पार्टी (आप) के पक्षकार ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं और फ्री में अंतर है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्थव्यवस्था का पैसा गंवाना और लोगों के कल्याण को संतुलित करना होगा. इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.

इसके साथ ही, चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में उपहार देने के मामले पर चुनाव आयोग से भी जवाब-तलब किया है. अदालत ने चुनाव आयोग से पूछा कि देश की सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले अपना घोषणा पत्र आपको देती हैं या नहीं? अदालत ने चुनाव आयोग द्वारा हलाफनामा देने में देर किए जाने पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि हमें अभी तक हलफनामा नहीं मिला है, लेकिन अखबारों को हमसे पहले मिल जाता है. आज भी हमने अखबारों में ही हलफनामा पढ़ लिया है.

मुफ्त के उपहार से अर्थव्यवस्था को नुकसान

बता दें कि देश में राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त में उपहार दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भाजपा के नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से याचिका दायर की गई है. इस याचिका में उन्होंने दावा किया है कि चुनावों में मुफ्त के उपहार से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है. मुफ्त के उपहार को लेकर अदालत ने चुनाव आयोग से सवाल पूछा, तो आयोग ने कहा कि मुफ्त की योजनाओं को लेकर कोई परिभाषा नहीं बनी है. हालांकि, चुनाव आयोग ने अदालत से यह भी कहा कि इसके लिए एक समिति का गठन कर दिया जाए, लेकिन इसे हमें दूर ही रखा जाए, क्योंकि हम एक संवैधानिक संस्था हैं.

पीएम मोदी ने मुफ्त की योजनाओं को कहा था रेवड़ी कल्चर

बता दें कि चुनावों में मुफ्त की योजनाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘रेवड़ी कल्चर’ करार दिया था. वहीं, इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक जटिल मुद्दा है. उन्होंने कहा, ‘सड़क पर चल रही एक महिला से पूछा गया कि वह यात्रा कैसे करती है, तो उसने कहा कि बस की सवारी करना मुफ्त है.’ उन्होंने कहा कि इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि मुफ्त की योजनाएं महत्वपूर्ण है या फिर परिवहन क्षेत्र के नुकसान पर विचार करने की जरूरत है.

Also Read: मुफ्त सेवाएं और उपहार देना राजनीतिक दलों को पड़ सकता है महंगा, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
सीजेआई ने समिति बनाने पर दिया जोर

सुनवाई के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति एनवी रमण ने कहा कि इस प्रकार के मामलों पर श्वेत पत्र जारी होना चाहिए. इस मुद्दे पर बहस होनी चाहिए और इसे राजनीति से दूर रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को होने वाले आर्थिक नुकसान और लोगों के कल्याण को संतुलित करना होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए हम कुछ समिति बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मेरी सेवानिवृत्ति से पहले इस मसले पर मुझे सुझाव दे दें.

Next Article

Exit mobile version