केरल के पास पानी के नीचे है ‘अंडरवॉटर आइलैंड’!, गूगल मैप की इमेज ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की उत्सुकता, जानिए क्या है राज

गूगल मानचित्र के उपग्रह इमेजरी में कैद इस आकृति को लेकर लोगों में उत्सुकता है तो वैज्ञानिक खुद हैरान हैं. फिलहाल विशेषज्ञ इसे पानी के नीचे की संरचना मान रहे हैं. वहीं, केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (KUFOS) के विशेषज्ञ इसकी गहन जांच की योजना बना रहे हैं. कई लोग तो इसे ‘अंडरवाटर आईलैंड’ मान रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2021 7:50 AM
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गूगल उपग्रह इमेजरी में केरल के कोच्चि पश्चिमी तट से थोड़ी दूरी पर अरब सागर (Arabian Sea) पर एक आकृति नजर आ रही है. बीन के आकार की यह आकृति ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. द न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट के अनुसार, देखने में यह एक द्वीप जैसी संरचना लग रही है. आइलैंड जैसा दिखने वाली ये आकृति पश्चिम कोच्चि के आकार का लगभग आधा है. वहीं, विशेषज्ञ इसे पानी के नीचे की एक संरचना मान रहे हैं. क्योंकि अरब सागर में ऐसी कोई संरचना नहीं देखी गयी है.

गूगल मानचित्र के उपग्रह इमेजरी में कैद इस आकृति को लेकर लोगों में उत्सुकता है तो वैज्ञानिक खुद हैरान हैं. फिलहाल विशेषज्ञ इसे पानी के नीचे की संरचना मान रहे हैं. वहीं, केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (KUFOS) के विशेषज्ञ इसकी गहन जांच की योजना बना रहे हैं. कई लोग तो इसे ‘अंडरवाटर आईलैंड’ मान रहे हैं. वहीं, चेल्लनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी का कहना है कि बीते चार सालों से इसके आकार में कोई विस्तार नहीं हुआ है.

कोच्चि के पास अरब सागर में दिख रही इस संरचना को कई लोग अंडरवॉटर आइलैंड मान रहे है, क्योंकि अरब सागर में ऐसी कोई संरचना नजर नहीं आ रही है. वहीं, इसको लेकर चेलनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी नाम के संगठन ने केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (KUFOS) के अधिकारियों को एक पत्र भी लिखा है. इसके अलावा कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष ने करीब दो हफ्ते पहले इसको लेकर एक फेसबुक पोस्ट भी किया था. जिसमें उन्होंने इस आकृति का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया था.

चेलनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी ने पत्र में इसकी भी जिक्र किया है कि यह संरचना पोर्ट गेट के 7 किमी पश्चिम में स्थित हो सकती है. वहीं, गूगल मानचित्र की तस्वीर को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि यह ‘अंजरवाटर आईलैंड’ करीब 8 किमी लंबा और लगभग 3.5 किमी चौड़ा हो सकता है. इसके अलावा संगठन ने केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज से इसके अध्ययन पर भी जोर दिया है.

केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (KUFOS) के कुलपति रिजी जॉन का कहना है कि आने वाले दिनों में केयूएफओएस दूसरे विशेषज्ञों के साथ बैठक कर इसके अध्ययन को लेकर चर्चा करेगा. उनका कहना है कि विशिष्ट आकार के बीन शेप के दिखने वाले इस तथाकथित अंडरवाटर संरचना की जांच के बाद ही पता चल पाएगा की ये क्या है. और किस चीज से बना है.

Posted by: Pritish Sahay

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